Chinese Spy Pigeon News: पिछले साल मई में चेंबूर से एक कबूतर पकड़ा गया. उसके पैरों में मौजूद छल्लों पर कुछ लिखा था, RCF थाने के पुलिसवालों को लगा कि चीनी भाषा है. 'चीनी जासूस' होने के शक में कबूतर को कैद कर लिया गया. उसके पैरों में तांबे और एल्यूमीनियम के दो छल्ले लगे हुए थे. इनपर कथित रूप से चीनी शैली में संदेश लिखा हुआ था. मुंबई पुलिस ने कबूतर को 'केस प्रॉपर्टी' के रूप में बाई साकर बाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स में भेज दिया. वहां मेडिकल चेकअप के बाद कबूतर को अलग पिंजरे में डाल दिया गया. पुलिस को जांच में पता चला कि यह कोई रेसिंग कबूतर है जो शायद ताइवान से रास्ता भटक कर मुंबई आ गया था. पुलिस ने केस बंद कर दिया मगर कबूतर को आजाद करवाने की याद नहीं आई. आखिरकार पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया के दखल पर कबूतर को रिहा किया गया.


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PETA एक्टिविस्ट सलोनी सकारिया को 'जासूसी' के शक में बंद कबूतर की कहानी पता चली. उन्‍होंने RCF थाने में संपर्क किया और कबूतर को फौरन रिहा करने की इजाजत मांगी. थोड़ी मनुहार के बाद पुलिस ने एनओसी दे दी. बुधवार को एनिमल हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, कर्नल (सेवानिवृत्त) डॉ. बीबी कुलकर्णी ने तालियों के बीच कबूतर को आजाद किया.


कहता है कबूतर, जासूसी का है चक्कर!


जासूसी के शक में पकड़ा गया यह कोई पहला कबूतर नहीं. बॉर्डर सिक्‍योरिटी से जुड़े अधिकारियों ने 2016 में एक कबूतर को हिरासत में ले लिया था. जब उसे पाकिस्तान की सीमा के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए धमकी भरा संदेश ले जाते हुए पकड़ा गया था.


2010 में एक और कबूतर को कड़ी सिक्‍योरिटी में रखा गया था. उसके पैर में एक अंगूठी थी और शरीर पर लाल स्याही से एक पाकिस्तानी फोन नंबर और पता लिखा था. तब अधिकारियों ने निर्देश दिया कि किसी को भी कबूतर से मिलने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. पुलिस ने कहा था कि वह 'जासूसी के स्पेशल मिशन' पर हो सकता है.