PM Modi Caste: गुजरात में कितने हैं मोढ़-घांची, और कहां-कहां पाई जाती है ये जाति?
PM Modi Caste: भारत सरकार की ओबीसी लिस्ट में इस जाति का भी नाम शामिल है. मोढ़-घांची समुदाय गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में पाई जाती है. वैसे मोढ़-घांची जाति मुख्य रूप से गुजरात में पाई जाती है.
Modh Ghanchi In Gujarat: राहुल गांधी के एक बयान के बाद पीएम मोदी की जाति को लेकर बवाल मचा हुआ है. राहुल ने आरोप लगाया है कि पीएम अपनी जाति को लेकर लगातार झूठ बोलते रहते हैं. असल में पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात की मोढ़-घांची (तेली) समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. भारत सरकार की ओबीसी लिस्ट में इस जाति का भी नाम शामिल है. मोढ़-घांची समुदाय गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में पाई जाती है. एक आंकड़े के मुताबिक गुजरात में करीब 6 फीसदी इनकी आबादी है.
वैसे मोढ़-घांची जाति मुख्य रूप से गुजरात में पाई जाती है, खासकर उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र क्षेत्रों में. उत्तर गुजरात में, वे मेहसाणा, बनासकांठा, साबरकांठा, और पाटन जिलों में केंद्रित हैं. सौराष्ट्र में, वे अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर, और भावनगर जिलों में पाए जाते हैं. बताया जाता है कि कुछ मोढ-घांची मुंबई, दिल्ली, और अन्य शहरों में भी रहते हैं.
गुजरात सरकार के समाज कल्याण विभाग के एक आधिकारिक पत्र में गुजराती भाषा में उन जातियों का जिक्र है, जिन्हें उनके हालातों को देखते हुए OBC श्रेणी में रखा गया था, ताकि वो समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें. चुनावी संबोधन के दौरान कई बार पीएम नरेंद्र मोदी अपनी जाति के बारे में बता चुके है. तब उन्होंने देश को बताया था कि वो जिस जाति से आते हैं, वो जाति ओबीसी श्रेणी में आती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मोढ़-घांची जाति से आते हैं.
मोढ-घांची जाति को यूपी और बिहार जैसे राज्यों में तेली जाति भी कहा जाता है.
घांची जाति के जो लोग मोढेरा के सूर्य मंदिर के इलाके में बसे थे, उन्हें ही बाद में मोढ-घांची कहा गया.
घांची जाति को सबसे पहले गुजरात में ओबीसी या अन्य पिछड़ी जाति में शामिल किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस मोढ घांची जाति से आते हैं, उस जाति को 90 के दशक में ओबीसी वर्ग में तब शामिल किया गया, जब मंडल कमीशन ने गुजरात में किए गए सर्वे के दौरान, उनकी खराब स्थिति को देखा था.
घांची जाति को ओबीसी का दर्जा गुजरात में बीजेपी सरकार के कार्यकाल में नहीं हुआ था.
वर्ष 1955 में काका कालेकर कमेटी ने घांची जाति को ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश की थी.
वर्ष 1994 में मोढ़ घांची जाति को गुजरात में OBC में शामिल किया गया.
जिस वक्त ये कदम उठाया गया था उस वक्त गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी.
17 फरवरी 1994 से लेकर 13 मार्च 1995 तक गुजरात में कांग्रेस नेता छबील दास मेहता मुख्यमंत्री थे.
यानी गुजरात में जिस वक्त कांग्रेस का शासन था, उस वक्त ही घांची जाति को गुजरात के ओबीसी की सूची में शामिल किया गया था.
राज्य की 146 ऐसी जातियों का जिक्र
गुजरात सरकार के समाज कल्याण विभाग की लिस्ट में राज्य की 146 ऐसी जातियों का जिक्र है जो समाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं. इसकी तारीख है 25 जुलाई 1994 यानी गुजरात में कांग्रेस शासन के शुरू होने के करीब 5 महीने बाद. इस सूची के भाग 25-B पर ध्यान देने की जरूरत है. इसमें घांची और मोढ घांची का जिक्र किया गया है, जिन्हें ओबीसी वर्ग में शामिल किया गया था.
तब दोनों जगहों पर कांग्रेस की सरकार थी
मतलब ये है कि जिसने भी राहुल गांधी को ये बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति को वर्ष 2000 में केंद्र की बीजेपी सरकार ने साजिशन OBC कैटेगरी में शामिल किया था. उसे ये नहीं पता था कि ये काम तो कई वर्ष पहले ही किया जा चुका था. उस वक्त यानी वर्ष 1994 में राज्य और केंद्र दोनों जगहों पर कांग्रेस की सरकार थी. हालांकि वर्ष 1999 में केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया वो गजट भी है जिसमें घांची और मोढ़ घांची जाति को ओबीसी वर्ग में शामिल होने की बात बताई गई थी.
अब भारत के राजपत्र के बारे में जानिए,जो सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय की ओर जारी की गई है. इसकी तारीख पर ध्यान देने की जरूरत है। तारीख है 27 अक्टूबर 1999. इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. तब केंद्र सरकार ने देश के 17 राज्यों के पिछड़ी जातियों की सूची को केंद्रीय सूची में शामिल किया था। यानी राज्य की सूची को लेकर, केंद्रीय सूची में जोड़ा गया था. इस राजपत्र के पेज नंबर 3 पर गुजरात के ओबीसी वर्गों, जिन्हें केंद्रीय सूची में शामिल किया गया है, उसका नाम दिया है. जहां पर नई जातियों को जोड़ा गया है, उसमें 'मोढ घांची' भी है. Input-DNA