Gautam Gambhir की Jan Rasoi के सामने खाने के लिए लोगों की भारी भीड़, सिर्फ 1 रुपये में मिल रहा भरपेट खाना
गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की जन रसोई (Jan Rasoi) में कई बोर्ड लगे हुए हैं, जिन पर लिखा है कि बिना मास्क (Mask) के अंदर आने की अनुमति नहीं है. वॉलेंटियर भी इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि अंदर जा रहे लोग सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पूरी तरह से पालन करें.
वैभव परमार, नई दिल्ली: पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली सीट से बीजेपी (BJP) के सांसद गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) के फाउंडेशन गौतम गंभीर फाउंडेशन (Gautam Gambhir Foundation) द्वारा शुरू की गई जन रसोई (Jan Rasoi) का आज तीसरा दिन है. यहां जन रसोई के सामने खाना खाने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा है. यहां लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि मात्र 1 रुपये में भरपेट स्वादिष्ट खाना खिलाया जा रहा है.
बता दें कि गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) फाउंडेशन के वॉलेंटियर पहले दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच लोगों को खाने का टोकन बांटते हैं, फिर 50-50 की संख्या में लोग जन रसोई के अंदर जाकर खाना खाते हैं. जन रसोई (Jan Rasoi) में कोरोना वायरस (Coronavirus) प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
जन रसोई में कई बोर्ड लगे हुए हैं, जिन पर लिखा है कि बिना मास्क के अंदर आने की अनुमति नहीं है. वॉलेंटियर भी इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि अंदर जा रहे लोग सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पूरी तरह से पालन करें. 'गौतम गंभीर फाउंडेशन' की सीईओ अपराजिता ने जन रसोई और यहां बड़ी संख्या में लोगों को खाना खिलाने को लेकर ज़ी न्यूज के संवाददाता से बात की.
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सवाल- अपराजिता, आपने जन रसोई की शुरुआत की. मात्र 1 रुपये में अब गरीब लोगों को खाना मिलेगा. इस कदम के पीछे क्या लक्ष्य है और किस चीज ने आपको इसके लिए प्रेरित किया?
जवाब- जन रसोई को सांसद गौतम गंभीर ने प्रेरणा लेकर खुद शुरू किया है. उन्होंने हम सबको भी इसके लिए प्रेरित किया है. इससे पहले भी सांसद गौतम गंभीर ने ऐसी ही एक जन रसोई शुरू की थी. इसे भी गौतम गंभीर के प्रयासों से शुरू किया गया है ताकि हम कम पैसों में गरीब लोगों की मदद कर सकें.
सवाल- क्या इसके बाद और भी जन रसोई शुरू की जाएंगी और खाने की कीमत सिर्फ 1 रुपये रखने के पीछे खास वजह क्या है?
जवाब- जी हां, अगर हमें जन रसोई से अच्छा फीडबैक मिला तो हमारा प्लान है कि हम इसे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों तक ले जाएं. रही बात 1 रुपये में भोजन देने की तो हम चाहते हैं कि दिल्ली में कोई भी भूखा नहीं सोए. अगर किसी के पास 1 रुपया भी नहीं होता है तो हम उसे भी भोजन करने देते हैं. ये सबके लिए है. यहां गरीब, अमीर कुछ नहीं देखा जाता है.
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सवाल- अभी कोरोना काल चल रहा है. ऐसे में यहां किस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाता है और अभी कितने लोगों को एक बार में अंदर भेजा जाता है?
जवाब- ये जन रसोई अभी 2 दिन पहले ही शुरू हुई है. यहां करीब 500 से 1000 लोग खाने के लिए आते हैं, जिन्हें 50-50 की संख्या में अंदर भेजा जाता है ताकि कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ठीक से हो सके.
सवाल- अभी इस जन रसोई में कितने वॉलेंटियर काम कर रहे हैं?
जवाब- अभी तो हम करीब 10-15 वालंटियर हैं, जो यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन जिस प्रकार से लोगों में उत्साह है, उससे लगता है कि और लोग भी हमें सपोर्ट करने के लिए आगे आएंगे.
सवाल- अमूमन देखा जाता है कि खाने से जुड़ा कोई कार्यक्रम शुरू होने के पहले कुछ दिनों में तो संस्था या फाउंडेशन द्वारा अच्छा खाना सर्व किया जाता है लेकिन जैसे ही 2-3 महीने बीत जाते हैं तो खाने की क्वालिटी गिर जाती है. ऐसे में यहां किस तरीके से खाने की क्वालिटी को चेक किया जा रहा है?
जवाब- हमारे यहां खाने के स्वाद और पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. कभी-कभी तो सांसद गौतम गंभीर भी खुद खाने की क्वालिटी को चखकर चेक करने आते हैं. वे खुद पहली थाली खाते हैं और हमारी टीम भी वही खाना खाती है जो लोगों को खिलाया जा रहा है.
बता दें कि गौतम गंभीर फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई ये जन रसोई पूर्वी दिल्ली के इलाके में है. जहां कपड़े का देश का सबसे बड़ा थोक का बाजार है. यहां बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं. अब यहां मजदूर सिर्फ 1 रुपये में खाना रहे हैं.