नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस किए जाने और सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली पर सवाल उठाए जाने की खबर ने लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ को हिला कर रख दिया है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुख्य न्यायधीश पर बड़ा आरोप लगाया. चारों जजों ने कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है. सुप्रीम कोर्ट सही तरीके से काम नहीं कर रहा है. हमने इस विषय में मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) से भी बात करने की कोशिश की लेकिन हम नाकामयाब रहे है. चारों जजों ने कहा कि बीस साल बाद कोई हमें यह ना कहे कि हमने आत्मा बेच दी थी. इसलिए हम सारा कुछ बताने के लिए देश के सामने आए है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस मामले पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मीडिया चैनल से बातचीत में कहा, 'मैंने पिछले 35 साल से सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को देखा है, ऐसी स्थिति कभी नहीं रही. कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई जज यह तय करे कि कौन सा जज कौन सा केस करेगा. आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश यह तय कर रहे हैं कि कौन सा जज, कौन सा केस करे.'


यह भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस, चीफ जस्टिस पर लगाए गंभीर आरोप


प्रशांत भूषण ने कहा 'यह काम सरकार के इशारे पर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोर्ट की स्वतंत्रता खत्म हो रही है. भूषण ने बताया, ' सीजेआई अहम केसों को खास जजों के यहां लगा कर उन्हें डिसमिस करवा देते हैं. जब इस तरह के कामों पर चार सीनियर जजों ने ऐतराज जताया तो उनकी अनदेखी की गई. इसलिए इन चार सीनियर जजों को यह कदम उठाना पड़ा जिससे की पूरा देश जागे.' 


न्यायपालिका में भी विचारों की लड़ाई? 
प्रशांत भूषण ने इसमें राजनातिक हस्तक्षेप पर कहा,  'राजनीति की इसमें कोई बात नहीं है, सीजेआई के बाद तो चार प्रमुख जज हैं उन्होंने कहा है कि सीजेआई अपनी पावर का दुरुपयोग कर रहे है. यह हमारे लोकतंत्र के लिए घातक. अगर सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी तो यह घातक है. जजों ने विचार किया कि यह बात मीडिया के जरिए देश की जनता के सामने आनी चाहिए.'


आगे की लड़ाई 
प्रशांत भूषण ने कहा. ' सीजेआई को इस्तीफा देना चाहिए. क्योंकि ऐसी स्थिति कोई भी सेल्फ रिस्पेक्टिंग जज इस्तीफा दे देगा. अगर नहीं देंगे तो यह आगे बढ़ेगा.' 


वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा, 'अगर एक आम आदमी के लिए न्याय होता है तो एक जज के लिए भी न्याय उतना ही होता है.' उन्होंने कहा कि चारों जजों के चेहरों पर दर्द साफ छलक रहा था, जज हर तरह के भेदभाव से उपर होता है.