Chhattisgarh Maoist Encounter: भारत के केंद्रीय गृहमंत्री, राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने 24 अगस्त को कहा था कि नक्सलवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई अंतिम चरण में है. अमित शाह के बयान के बाद ही अक्टूबर में 'लाल आतंक' के गढ़ में सबसे बड़ी स्ट्राइक भारतीय जवानों ने की है. आइए जानते हैं क्या अमित शाह का मास्टर प्लान '2026'? और किसे कहते हैं 'लाल आतंक'.
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Naxals killed in encounter: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अगस्त के महीने में बहुत ही साफ शब्दों में कहा था कि नक्सलवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई अंतिम चरण में है.अब समय आ गया है कि वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर एक मजबूती के साथ रुथलेस रणनीति के साथ अंतिम प्रहार किया जाए. उग्रवाद हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा चैलेंज है. आइए बारी-बारी से सब समझते हैं. सबसे पहले जानें अमित शाह ने क्या अपील की थी, क्या था प्लान, क्या है लाल आतंक.
अमित शाह ने पहले की अपील
अमित शाह ने अपील करते हुए कहा था कि जो वामपंथी उग्रवाद में लिप्त या जुड़े हो, सभी युवाओं से अपील है कि भारत सरकार इस क्षेत्र के विकास, आपके विकास, आपके परिवार के विकास के लिए कटीबद्ध है. हथियार छोड़िए और पीएम मोदी के नेतृत्व में जो विकास का रथ चल रहा है. एक नए युग का जो आगाज हो रहा है, उसे मजबूती दें. हम उम्मीद करते हैं कि हमने जो रास्ता अख्तियार किया है, उसके मुताबिक पूरे छत्तीसगढ़ और पूरे देश को नक्सलवाद की समस्या से मुक्त कर देंगे.
अमित शाह ने दिया था अल्टीमेटम
इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा था कि छ्त्तीसगढ़ में नक्सली मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सरेंडर करें या फोर्स की कार्रवाई के लिए तैयार रहे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार का नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख का असर जमीन पर जबरदस्त दिख रहा है. पिछले नौ महीने के भीतर केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय से जवानों का हौसला बढ़ा और सूचना तंत्र पहले से अधिक मजबूत हुआ है. नतीजतन, प्रदेश में लगातार नक्सली ढेर हो रहे हैं. हर महीने जवान बड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं.
नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों पर कहर बनकर टूटी सेना
इसी का नतीजा है कि नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर स्थित थुलथुली गांव के पास जंगल व पहाड़ी क्षेत्र में शुक्रवार को हुई मुठभेड़ में जवानों ने 36 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुरक्षाबलों के इस अभियान की सराहना की और कहा कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए शुरू हुई लड़ाई अब अपने अंजाम तक पहुंचकर ही दम लेगी, इसके लिए डबल इंजन सरकार दृढ़ संकल्पित है.
इस साल की सबसे बड़ी स्ट्राइक
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी.के मुताबिक दंतेवाड़ा जिले में गवाड़ी, थुलथुली, नेंदूर और रेंगावाया गांव के मध्य पहाड़ी पर नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना मिली थी. सूचना मिलने के बाद बृहस्पतिवार को दोपहर बाद दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले से डीआरजी और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के जवानों के संयुक्त दल को रवाना किया गया था. उन्होंने बताया कि डीकेएसजेडसी (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) के सदस्य कमलेश, नीति, कमांडर नंदू, सुरेश सलाम और अन्य की मौजूदगी के बारे में सूचना मिली थी.
माओवादियों की प्लाटून 16 के गढ़ में घुसकर मारा
पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह इलाका इंद्रावती एरिया कमेटी, पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) कंपनी नंबर छह और माओवादियों की प्लाटून 16 का गढ़ माना जाता है. सुंदरराज ने बताया कि आज अपराह्न लगभग एक बजे जब सुरक्षाबल के जवान क्षेत्र में थे तब नक्सलवादियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षाबल के जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने क्षेत्र से 28 शव, एके-47 राइफल, एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल), इंसास राइफल, एलएमजी राइफल और .303 राइफल समेत हथियारों का जखीरा भी बरामद किया है.
सीएम की हुंकार
मुख्यमंत्री साय ने सुरक्षाबलों के अभियान की सराहना करते हुए ‘एक्स’पर लिखा, ''नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में सुरक्षाबल के जवानों की नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में 28 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है. जवानों को मिली यह बड़ी कामयाबी सराहनीय है. उनके हौसले और अदम्य साहस को नमन करता हूं. नक्सलवाद के खात्मे के लिए शुरू हुई हमारी लड़ाई अब अपने अंजाम तक पहुंचकर ही दम लेगी, इसके लिए हमारी डबल इंजन सरकार दृढ़ संकल्पित है. प्रदेश से नक्सलवाद का खात्मा ही हमारा लक्ष्य है.''
एक साल में 185 माओवादियों का खात्मा
अधिकारियों ने बताया कि घटना के बाद मुख्यमंत्री साय ने अपने निवास पर पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक ली. बैठक में राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष अब तक दंतेवाड़ा और नारायणपुर समेत सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में अलग-अलग मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों ने 185 माओवादियों को मार गिराया है. इससे पहले, 16 अप्रैल को कांकेर जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में कुछ बड़े कैडर समेत 29 नक्सली मारे गए थे.
अमित शाह का 2026 का मास्टर प्लान
अगस्त माह में छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारत मार्च, 2026 तक वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा और इस खतरे के खिलाफ अंतिम हमला शुरू करने के लिए एक मजबूत रणनीति की आवश्यकता है.
नक्सल प्रभावित सात राज्य
छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल
छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित जिले
देश के 38 जिलों में से छत्तीसगढ़ के 15 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़ छुई खदान गंडई, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली नक्सल प्रभावित जिले हैं. पूरे देश में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या छत्तीसगढ़ में ही है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान अमित शाह ने सरकार बनने के बाद प्रदेश की जनता से नक्सलवाद को खत्म करने का वादा किया था.
अब जानते हैं क्या है लाल आतंक
भारत देश लाल आतंक का गढ़ है, जिसे लाल गलियारा या रेड कॉरिडोर (Red Corridor) कहा जाता है, इस रेड कॉरिडोर से सबसे ज्यादा प्रभावित मध्य पूर्वी और दक्षिणी भारत के क्षेत्र हैं. वर्तमान में लगभग 9 राज्यों के 60 जिले लाल आतंक से प्रभावित हैं. दरअसल इन प्रभावित जिलों को रेड कॉरिडोर, लाल गलियारा (Red Corridor) या लाल आतंक का गढ़ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये क्षेत्र माओवाद (Maoism) से प्रभावित है, इन क्षेत्रों को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. पिछले 5 दशकों में इन क्षेत्रों में ऐसी भयंकर घटनाएं हुई हैं जिनमें हजारों लोगों की जान चली गई है. इन घटनाओं में खासकर बड़ी संख्या में अर्ध सैनिक बलों ने अपनी जान की आहूति दी है.
60 से 30 जिलों में सिमटा नक्सलवाद
हालांकि पिछले 10 सालों की तुलना में नक्सलवाद काफी बैकफुट पर है और धीरे-धीरे सिमटते हुए साल 2021 में 60 जिलों की जगह 30 जिलों में ही रह गया है ये जिले बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के अंतर्गत आते हैं. ये सभी जिले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं और जंगल व पहाड़ियों से घिरे हुए हैं. ऐसे में नक्सली इन जगहों को सेफ जोन समझकर अपना ठिकाना बनाते हैं. हालांकि तेलंगाना में अब नक्सलवाद काफी बैकफुट पर है लेकिन छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के साथ ही बिहार में भी नक्सलियों की दहशत अभी भी कायम है और इन इलाक़ों में नक्सली सक्रिय होकर एक के बाद एक बड़ी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. नक्सलियों उपेक्षित कृषि मजदूरों और गरीबों के लिए बेहतर भूमि अधिकारों और रोजगार के लिए पुलिस, रसूखदार आदिवासी, नेता और सरकारी कर्मचारियों को बार-बार निशाना बनाते हैं.