Nitish Kumar  Hindi News: चुनाव रणनीतिकार और राजनीति में प्रवेश करने वाले प्रशांत किशोर ने ऐसा बयान दे दिया है, जिसे सुनकर सब हैरत में हैं. उन्‍होंने एक सम्‍मेलन में कहा है कि वे चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं, लेकिन उन्‍होंने ये बात भी कह दी है कि वे अपने गृह राज्य बिहार के लिए एक बेहतर विकल्प जरूर बनाएंगे. वे पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया में एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्‍होंने जेडीयू के नेताओं पर भी जमकर भड़ास निकाली है. वे कहते हैं कि जेडीयू के नेता उन्‍हें धंधेबाज कहते हैं, इस बात पर पलटवार करते हुए उन्‍होंने कहा कि वे अपनी पार्टी के शीर्ष नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछें कि उन्होंने मुझे दो साल के लिए अपने निवास पर क्यों रखा?  


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जद (यू) के नेताओं पर भड़के पीके  


प्रशांत किशोर ने 12 नवंबर को एक बड़ा बयान दे दिया है. जिसमें उन्‍होंने कहा है कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं, लेकिन उन्‍होंने अपने गृह राज्य बिहार के लिए एक बेहतर विकल्प बनाने का वादा जरूर दोहराया. ये बात उन्‍होंने संवाददाता सम्मेलन में कही. इस दौरान उन्‍होंने जद (यू) के नेताओं को भी जमकर लताड़ लगाई. जद (यू) के नेताओं ने पीके पर राजनीतिक कौशल के साथ एक धंधेबाज जैसे आरोप लगाए थे. जिस पर पीके ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाकर पूछें कि उन्होंने मुझे अपने आवास पर दो साल तक क्यों रखा था. 


प्रशांत किशोर लड़ेंगे चुनाव! 


आई-पीएसी (I-PAC) के संस्थापक प्रशांत किशोर से संवाददाता सम्मेलन में कई बार सवाल पूछा गया कि क्या वह खुद चुनाव लड़ने वाले हैं? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा? मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है. इस सम्मेलन में कई लोगों की राय ली जाएगी कि क्या 'जन सुराज' अभियान को राजनीतिक दल बनाया जाए या नहीं. प्रशांत किशोर बिहार की 3,500 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा पर आए निकले हैं, उसमें उन्‍होंने कहा है कि प्रदेश के सभी जिलों में इसी तरह से रायशुमारी ली जाएगी, जिसके आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी. 


10 साल में बदल गए नीतीश! 


एक जवाब में किशोर ने बताया कि नीतीश कुमार के साथ काम करने का उन्‍हें कोई पछतावा नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार 10 साल पहले जैसे थे और वो अब नहीं हैं, उनमें बहुत अंतर आ गया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर मुख्‍यमंत्री पद छोड़ दिया था, लेकिन अब वे सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार रहते हैं. पीके ने कहा कि अगर वे एक साल में 10 लाख नौकरियों के वादे का पूरा कर देते हैं तो, मैं अपना अभियान छोड़ दूंगा. 


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