President Election: Draupadi Murmu को उम्मीदवार बनाकर NDA ने चला मास्टरस्ट्रोक, एक तीर से साधे कई निशाने
Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना NDA का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है. दरअसल, NDA ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर एक तीर से कई निशानों को साधा है.
President Election: झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव में NDA की उम्मीदवार होंगी. मुर्मू के सामने विपक्ष के उम्मीदवार यशंवत सिन्हा होंगे. द्रौपदी मुर्मू अगर चुनाव में बाजी मार लेती हैं तो वह देश के सर्वोच्च पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी होंगी.
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना NDA का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है. दरअसल, NDA ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर एक तीर से कई निशानों को साधा है. नरेंद्र मोदी ने केंद्र में सत्ता संभालने के बाद सबका साथ सबका विकास का नारा दिया था. 2017 में उन्होंने दलित राष्ट्रपति बनाकर इसे साबित किया और अब आदिवासी महिला का चयन करके नारे को सिद्ध कर दिया है.
बता दें कि देशभर में आदिवासियों की संख्या 12 करोड़ से अधिक है. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर आदिवासियों की भागीदारी अन्य समुदायों के मुकाबले कम है. ऐसे में NDA ने द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे बढ़ाकर यह मैसेज देने की कोशिश की है कि उसके एजेंडे में समरस और सर्वस्पर्शी समाज की परिकल्पना सर्वोपरि है.
2014 में बनाया राज्यपाल
2014 में झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी ने राज्य की कमान गैर आदिवासी नेता को दी. रघुवर दास को सीएम बनाया गया है. उधर, आदिवासी नाराज ना हों, उसके लिए बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाया.
संताल आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू ने अपने कार्यकाल में तब विपक्ष की राजनीति करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी प्रभावित किया. राष्ट्रपति चुनाव में इसका असर पड़ सकता है. झारखंड में सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों की संख्या 30 है.
हेमंत सोरेन की पार्टी के लोकसभा में एक और राज्यसभा में एक सदस्य हैं. कहा जाता है कि हेमंत सोरेन और द्रौपदी मुर्मू के बीच बेहतर रिश्ते हैं, जिसका फायदा NDA को राष्ट्रपति चुनाव में मिल सकता है.
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ऐसा हुआ तो बीजेपी को मिल जाएगा जेएमएम को घेरने को मौला
वहीं, सोरेन की पार्टी मुर्मू के खिलाफ जाती है तो बीजेपी को जेएमएम को घेरने का मौका मिल जाएगा. हेमंत सोरेन अगर मुर्मू के साथ जाएंगे तो कांग्रेस असहज होगी. विपक्ष का साथ देने पर हेमंत सोरेन को भविष्य में राजनीतिक नुकसान का डर सताएगा.
बता दें कि झारखंड विधानसभा के 81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है. इसमें से फिलहाल 26 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस का कब्जा है. झारखंड से सटे ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) की सरकार है.
द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आसानी से उनके समर्थन के लिए आगे आ सकते हैं. ओडिशा में विधानसभा की 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में भी यह प्रभावी कदम साबित होगा.