सैयद खालिद हुसैन/जम्‍मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला नेतृत्व वाली बनी नई सरकार के कार्यकाल के पहले ही दिन विवाद खड़ा हो गया. विवाद की वजह बने जब नेशनल कांफ्रेंस के सिम्बल सोनवरी से चुने गए विधायक हिलाल अकबर लोन. नई सरकार के उनपर आरोप है कि वे उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं हुए थे. आरोपों को साबित करने के लिए कार्यक्रम की सीसीटीवी फुटेज खंगाली जा रही है, वहीं आरोपी विधायक ने पुष्टि की है कि वे स्वास्थ्य कारणों से खड़े नहीं हुए थे.


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‌विवाद में फंसे हिलाल अकबर लोन, जानें क्या है सच्चाई
हिलाल अकबर लोन ने कहा कि मेरी बात सुनिए जब में अंदर नेशनल एंथम चला तो मैं खड़ा हुआ लेकिन फिर बैठ गया, क्योंकि मुझे मेडिकल प्रॉब्लम है. जब में लंच के लिए बाहर निकला में तब भी कुर्सी पर नहीं बैठा. ज़मीन पर ही बैठा रहा. यही वजह थी मैं खड़ा नहीं हुआ. मेरा इरादा संविधान की बेइज्जती नहीं थी. लोन ने आगे कहा सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि अगर कोई राष्टगान में खड़ा नहीं होता है तो कोई जुर्म नहीं है. मुझे अभी तक किसी ने इस मामले में किसी ने संपर्क नहीं किया है. अगर जांच हुई तो मैं पूरा सहयोग करुंगा.


मामले में संदेह कब हुआ?
लेकिन मामला तब और तूल पकड़ा जब वह शपथ स्थल के अंदर जाने से पहले हिलाल लोन ने कई पत्रकारों से खड़े होकर बात की और इंटरव्यू भी दिया. इस दौरान वह सामान्य रूप से खड़े थे. इस दौरान उन्होंने जी न्यूज से भी बात की और यह पूछने पर की इंटरव्यू के समय वो कैसे खड़े थे तो लोन ने कहा कि मैंने कुछ पत्रकारों से बात की उन्होंने मुझे फोर्स किया लेकिन जब में अंदर गया तो मेरी तबीयत खराब हो गई.


अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश
अधिकारियों के अनुसार, शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कुछ उपस्थित लोगों के राष्ट्रगान बजने के दौरान खड़े नहीं होने की सूचना मिली थी. हिलाल अकबर लोन उनमें से एक थे.


खंगाली जा रही सीसीटीवी फुटेज 
आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए, कार्यक्रम की सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई और जानबूझकर खड़े न होने और राष्ट्रगान का अपमान करने के नियमों के तहत मामले की जांच की जा रही है. सूत्रों ने यह भी बताया कि कार्यक्रम की पूरी फुटेज खंगाली जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि राष्ट्रगान के दौरान कौन-कौन लोग खड़े नहीं हुए हैं. 


अब्दूल्ला बने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री 
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 2019 में आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में यह पहली चुनी हुई सरकार है. 54 वर्षीय अब्दुल्ला ने पांच अन्य मंत्रियों के साथ शपथ ली जिनमें से तीन मंत्री जम्मू क्षेत्र के और दो कश्मीर घाटी के हैं. उपमुख्यमंत्री के रूप में सुरेंद्र चौधरी पर भरोसा जताया गया है.  NC के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस ने फिलहाल नई सरकार में कोई मंत्री पद नहीं लेने का फैसला किया है. छह साल के प्रत्यक्ष केंद्रीय शासन को समाप्त करने वाली नई जम्मू-कश्मीर सरकार में अधिकतम नौ मंत्री हो सकते हैं.