नई दिल्लीः पंजाब में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर सियासी दल विरोधियों को मात देने के लिए रोज नई रणनीति बना रहे हैं. पंजाब चुनाव में इस बार बिक्रम सिंह मजीठिया के नाम की भी खूब चर्चा हो रही है. बिक्रम सिंह मजीठिया मजीठा क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं.


ड्रग्स केस में फंसने से मजीठिया को फायदा


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ड्रग्स केस में फंसने के बाद माना जा रहा था कि चुनाव में मजीठिया को नुकसान हो सकता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ड्रग्स केस का शिकार हुए बिक्रम सिंह मजीठिया को लोग विक्टिम यानी पीड़ित के तौर पर देख रहे हैं. बहुत अधिक संख्या में लोगों का मानना है कि बिक्रम सिंह मजीठिया को ड्रग्स केस में फंसाया गया था.


अमृतसर से भी चुनावी मैदान में हैं मजीठिया


बिक्रम सिंह मजीठिया शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर अमृतसर और मजीठा सीट से चुनावी मैदान में हैं. मजीठिया मजीठा सीट के अलावा अमृतसर ईस्ट से राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को चुनौती देंगे. अमृतसर की कुल 9 विधानसभा सीटों में से 5 शहरी हैं और 4 ग्रामीण सीट हैं. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में अमृतसर ईस्ट से शिरोमणि अकाली दल बादल के युवा अध्यक्ष बिक्रमजीत सिंह मजीठिया जीतते आए हैं.


अकाली दल का गढ़ रहा है मजीठा


आइये अब बात करते हैं मजीठा की. मजीठा एक छोटा सा शहर है, जिसमें तकरीबन 100 से ज्यादा गांव आते हैं. इस गांव में समृद्धि खुशहाली और खेत भी हैं और पंजाब का गरीब दलित किसान और आम आदमी भी. मजीठा हमेशा से शिरोमणि अकाली दल का गढ़ रहा है. इस बार भी यह विधान सभा सीट अकाली दल के ही खाते में जाति नजर आ रही है. ड्रग्स केस के शिकार बिक्रम सिंह मजीठिया को यहां का वोटर पीड़ित मान रहा है. 15 से 20000 वोटरों वाली मजीठा सीट पर अभी भी शिरोमणि अकाली दल का दबदबा तो है, लेकिन बदलाव की चाह रखने वाला पंजाब का वोटर इस बार सर्प्राइज नतीजे भी दे सकता है.



मजीठिया को सगे भाई से मिलेगी चुनौती


यहां से आम आदमी पार्टी के टिकट पर लाली मजीठिया मैदान में हैं. कुछ दिनों पहले तक वह कांग्रेस में थे. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें बिक्रम सिंह मजीठिया से हार मिली थी. वहीं, कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे जगविंदर पाल सिंह जग्गा लाली, मजीठिया के ही सगे भाई हैं.


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