चंडीगढ़: नगर परिषद का अध्यक्ष चुने जाने से लेकर पंजाब में दलित समुदाय से पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने तक चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का पिछले दो दशकों में सियासत में लगातार कद बढ़ता गया. पंजाब के रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधान सभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक चन्नी 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और निवर्तमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, रोजगार सृजन और पर्यटन व सांस्कृतिक मामलों के विभागों को संभाल रहे थे.


32 प्रतिशत दलितों की आबादी वाले राज्य में अहम है फैसला


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पंजाब में विधान सभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने बचे हैं इसलिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में एक दलित चेहरे की घोषणा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि दलित राज्य की आबादी का लगभग 32 प्रतिशत हिस्सा हैं. दोआब क्षेत्र - जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर और कपूरथला जिले में दलितों की आबादी सबसे अधिक है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) से गठबंधन कर चुके शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही घोषणा कर दी है कि विधान सभा चुनाव में जीत मिलने पर दलित वर्ग के किसी नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा. राज्य में आम आदमी पार्टी भी जीत की उम्मीदें लगाए हुए है.


अमरिंदर के खिलाफ खोला था मोर्चा


चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) (58) का चुना जाना भले आश्चर्यजनक विकल्प प्रतीत होता है, लेकिन यह कांग्रेस की तरफ से प्लानिंग के तहत लिया गया निर्णय हो सकता है क्योंकि पार्टी को आशा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए दलित वर्ग से नेता के चयन का विरोध नहीं होगा और अमरिंदर सिंह की नाराजगी से हुए संभावित नुकसान की भरपाई हो जाएगी. चन्नी ने तीन अन्य मंत्रियों - सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के साथ और विधायकों के एक वर्ग ने पिछले महीने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाते हुए कहा था कि उन्हें अधूरे वादों को पूरा करने की सिंह की क्षमता पर कोई भरोसा नहीं है.


2002 में शुरू हुई राजनीतिक यात्रा


चन्नी वरिष्ठ सरकारी पदों पर अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व जैसे दलितों से जुड़े मुद्दों पर सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. उनकी राजनीतिक यात्रा 2002 में खरार नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के साथ शुरू हुई. चन्नी ने पहली बार 2007 में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और चमकौर साहिब विधान सभा क्षेत्र से जीते. वह 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए और फिर से उसी सीट से विधायक चुने गए.


जब महिला IAS को मैसेज भेज घिरे विवाद में


मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चन्नी उस समय विवादों में घिर गए जब एक महिला IAS अधिकारी ने उन पर 2018 में ‘अनुचित मैसेज’ भेजने का आरोप लगाया था. इसके बाद पंजाब महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार का रुख पूछा था. उस समय मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने चन्नी को महिला अधिकारी से माफी मांगने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि उनका (सिंह) मानना है कि मामला ‘हल’ हो गया है. यह मुद्दा इस साल मई में फिर से उठा, जब महिला आयोग की प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार एक ‘अनुचित संदेश’ के मुद्दे पर अपने रुख से एक सप्ताह के भीतर उसे अवगत कराने में असफल रही तो वह भूख हड़ताल पर चली जाएंगी. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे ने आरोप लगाया था कि यह अमरिंदर सिंह द्वारा उनके विरोधियों को निशाना बनाने की कोशिश है.


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इस मामले में भी हुई फजीहत


वर्ष 2018 में चन्नी फिर से विवादों में फंसे, जब वह एक पॉलिटेक्निक संस्थान में लेक्चरर के पद के लिए दो उम्मीदवारों के बीच फैसला करने के लिए एक सिक्का उछालते हुए कैमरे में कैद हो गए. इससे अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा. नाभा के एक लेक्चरर और पटियाला के एक लेक्चरर, दोनों पटियाला के एक सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान में तैनात होना चाहते थे. 


जब प्रशासन ने तोड़ दी थी सड़क


चन्नी ने एक बार अपने सरकारी आवास के बाहर सड़क का निर्माण करवाया था ताकि उनके घर में पूर्व की ओर से एंट्री की जा सके और बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे तोड़ दिया. चन्नी पिछली शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान पंजाब विधान सभा में विपक्ष के नेता थे.


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