Jagannath Rath Yatra News in Hindi: यूपी के हाथरस में सत्संग के बाद भगदड़ से 123 लोगों के मरने की घटना अभी शांत भी नहीं हुई कि रविवार को ओडिशा में भी ऐसी ही घटना होते- होते रह गई. ओडिशा के पुरी में वार्षिक रथ यात्रा के दौरान भगवान बलभद्र का रथ खींचते समय एक भक्त की दम घुटने से मौत हो गई. मृतक की अब तक पहचान नहीं हो पाई है. साथ ही कई श्रद्धालु भी घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. राज्य के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने घटना पर अफसोस जताते हुए मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.


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स्वास्थ्य मंत्री ने किया अस्पताल का दौरा


घटना का पता चलने के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मुकेश महालिंग ने अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने डॉक्टरों को घायलों का बेहतर इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. उन्होंने बताया कि मारे गए श्रद्धालु की पहचान सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है. 


पुरी में पहुंचे हुए हैं 10 लाख श्रद्धालु


बताते चलें कि वार्षिक रथयात्रा उत्सव में शामिल होने के लिए इन दिनों दुनिया भर से करीब दस लाख श्रद्धालु पुरी में पहुंचे हुए हैं. इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाए गए तीन विशाल रथों पर रखा जाता है. इसके बाद पुरी के ग्रैंड रोड पर लाखों भक्त लगभग 3 किलोमीटर तक उन रथों खींचते हैं. फिर मूर्तियों को गुंडिचा मंदिर में ले जाया जाता है, जिसे देवताओं का जन्मस्थान माना जाता है. उस मंदिर में वे बाहुदा यात्रा (वापसी कार उत्सव) तक रहते हैं.


इन रथों को खींचने से पहले पुरी शाही वंश के लोग एक विशेष अनुष्ठान करके सोने की झाड़ुओं से रथों के फर्श को साफ करते हैं. माना जाता है कि यह अनुष्ठान श्रम यानी मेहनत की गरिमा पर जोर देता है. यह दर्शाता है कि भगवान की नजर में कोई भी कार्य छोटा या ऊंचा नहीं है.


मथुरा में भी निकाली गई रथयात्रा


पुरी के अलावा रविवार को यूपी के मथुरा में भी इस्कॉन वृंदावन की ओर से भगवान जगन्नाथ की 'रथ यात्रा' निकाली गई, जिसको लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया. यह यात्रा मथुरा के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी. जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि "रथ यात्रा के दौरान किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली. इस्कॉन-वृंदावन के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) रवि लोचन दास ने बताया कि यह रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ के अपनी मौसी के घर जाने का प्रतीक है. इस उत्सव में तीन विशाल रथों पर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर (पुरी में) ले जाया जाता है. 


गुलाब की पंखुड़ी बरसाने की लगी रही होड़


करीब छह किलोमीटर की यात्रा में लोगों और श्रद्धालुओं ने यात्रा का स्वागत किया. इस दौरान न केवल इमारतों की छतों से गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं, बल्कि रथ खींचने के लिए मानो होड़ लग गई. अधिकारियों ने बताया कि राधा आर्किड पर यात्रा के समापन पर हर श्रद्धालु को छप्पन भोग प्रसाद दिया गया. बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ज्ञानेंद्र गोस्वामी ने बताया कि वृंदावन में भगवान जगन्नाथ मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन के सात प्राचीन मंदिरों, श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित मंदिरों और मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में भी रथ यात्रा उत्सव मनाया गया.