Bihar Reservation Politics: बिहार को विशेष राज्य (Special State) का दर्जा नहीं मिला तो आरजेडी (RJD) ने जेडीयू-बीजेपी दोनों को घेरा. ऐसे में विपक्ष का मुंह बंद कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा धोबी पछाड़ चला जिसकी काट किसी को भी नहीं सूझ रही है. दरअसल इस मैटर से इतर नीतीश कुमार ने एक नई लाइन लेते हुए आरक्षण रूपी 'ब्रह्मास्त्र' का इस्तेमाल किया. विपक्ष के हो-हल्ले से भड़के नीतीश ने एक तीर से दो निशाने साधे. एक ओर उन्होंने विपक्ष से दो टूक कहा, 'भले ही स्पेशल स्टेट का दर्जा न मिला हो लेकिन इसके बदले केंद्र से जितना मिला है वो 'भूतो न भविष्यति' जैसा है. इसकी गवाही कांग्रेस पार्टी के नेता घूम-घूमकर दे रहे हैं'.


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दूसरी ओर नीतीश ने कहा- ' हमारी सरकार, बिहार राज्य की 65% की संशोधित आरक्षण सीमा (Bihar reservation row) को अनलॉक कराने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है, जिसे पटना हाईकोर्ट (High Court) ने रद्द कर दिया था, इसी सिलसिले में केंद्र से इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध भी शामिल है.' 


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हंगामा है क्यों बरपा?


बिहार विधानसभा में बुधवार को राज्य के संशोधित आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही थी. ऐसे में बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव को विपक्ष के सदस्यों को उनकी सीट पर वापस भेजने के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हस्तक्षेप करने के लिए खड़े हुए, पर विपक्षी विधायक नहीं माने. इसके बाद नीतीश ने विपक्ष का मुंह बंद करने के लिए बड़ा बयान दिया.


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65% quota provision in 9th Schedule: ऐसे निकलेगा रास्ता


नीतीश ने कहा, ‘मेरे कहने पर आप सभी जाति आधारित गणना के लिए सहमत हुए जिसके बाद एससी, एसटी, ओबीसी और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए कोटा बढ़ाया गया. जब पटना उच्च न्यायालय ने आरक्षण कानूनों को रद्द कर दिया है, तो हम उच्चतम न्यायालय गए हैं. इन्हें नौवीं अनुसूची में डालने के लिए केंद्र से एक औपचारिक अनुरोध भी किया गया है.’


पिछले साल नवंबर में पारित इन आरक्षण कानूनों के जरिए वंचित जातियों के लिए कोटा 65 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था, जिसे पिछले महीने पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करने वाले कानूनों को नौवीं अनुसूची में रखने से इन्हें न्यायिक समीक्षा से छूट मिल जाएगी.


नीतीश बोले- बिहार को मिले पैकेज से हम खुश हैं


गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में गठबंधन के सहयोगियों पर खूब मेहरबानी दिखाई. दरअसल केंद्र की मोदी सरकार को 10 साल बाद जब अपने दम पर पूर्ण बहुमत नहीं मिला और 32 MP की कमी हुई तो JDU-TDP बड़ा सहारा बनीं. बिहार की बात करें तो उसे आंध्र से करीब चार गुना ज्यादा पैसा मिला. NDA के सहयोगी नीतीश को 59 हजार करोड़ तो नायडू को 15 हजार करोड़ सैंशन हुआ. 


निर्मला सीतारमण का बजट भाषण खत्म होते ही नीतीश कुमार ने बिहार के 'महा'आवंटन पर रिएक्शन देते हुए कहा, 'हम तो लगातार विशेष दर्जे की मांग कर रहे थे. हमने तो उन्हें (NDA) कहा ही था कि विशेष दर्जा दीजिए या विशेष पैकेज दीजिए. उन्होंने विशेष पैकेज दे दिया. केंद्र सरकार ने कई चीजों के लिए सहायता की घोषणा की है. बिहार की मदद के लिए सहायता राशि का ऐलान किया गया है. पूरा बिहार इससे खुश है.'