Shashi Tharoor on Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव के नतीजे और फिर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का अंदाज बिल्कुल बदला-बदला नजर आ रहा है. राहुल गांधी संसद में लगातार सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं और उनके भाषणों में पहले के मुकाबले धार नजर आ रही है. लेकिन, आखिर ऐसा क्या हुआ, जिससे राहुल गांधी का अंदाज एकदम बदल गया है. इस राज से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने पर्दा उठाया है और बताया है कि राहुल गांधी की बॉडी लैंग्वेज (Rahul Gandhi Body Language) बता रही कि वही इंचार्ज हैं. शशिथरूर ने संसद में बदलते हुए परिवेश, राहुल गांधी की नई भूमिका, परिसीमन समेत कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है.


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राहुल गांधी के बदले बॉडी लैंग्वेज का क्या है राज?


संसद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बदले अंदाज को लेकर शशि थरूर ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि इस बदलाव की शुरुआत भारत जोड़ो यात्रा से हुई थी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले ही बदलाव की शुरुआत हो चुकी थी, जब राहुल गांधी ने सड़कों पर उतरना शुरू किया. लोकसभा चुनाव के बाद वो काफी बिजी हैं और विपक्ष के नेता के तौर पर भी काफी सक्रिय है. इसके बाद भी वो हर चीज में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं और संसद की कार्यवाही में भी काफी बार हिस्सा ले रहे हैं.


शशि थरूर ने आगे कहा कि राहुल गांधी के बदले बॉडी लैंग्वेज से उनके आत्मविश्वास का पता चलता है. उनकी बॉडी लैंग्वेज और काम करने का तरीका पार्टी के अंदर और सहयोगी दलों में मजबूत संदेश दे रहा है. राहुल गांधी के अंदाज में आए बदलाव के बाद बीजेपी को भी मजबूत संदेश गया है कि वे प्रभारी हैं और बीजेपी से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.


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क्या इस बार संसद के कामकाज में बदलाव आया है?


शशि थरूर ने 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के काम कामकाज में बदलाव के सवाल पर कहा हि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. सरकार ने अपना प्रचंड बहुमत खो दिया, लेकिन लोकसभा के अध्यक्ष वहीं हैं और मंत्रियों की किसी भी शैली में कोई बदलाव नहीं देखा है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने कई सारी परंपराओं को छोड़ दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि स्टैंडिंग कमेटी का सही से आवंटन किया जाता है या नहीं.


शशि थरूर ने संसद के कामकाज पर बोलते हुए आगे कहा कि कांग्रेस के समय में एक मजाक हुआ करता था कि संसदीय कार्य मंत्री अपने पक्ष की तुलना में विपक्ष की बेंच पर ज्यादा समय बिताते थे। बीजेपी के 10 सालों के दौरान ऐसा कभी नहीं हुआ। अचानक पिछले कुछ दिनों में मैंने देखा कि (संसदीय कार्य मंत्री) किरेन रिजिजू हमारे पक्ष में आ गए हैं। लेकिन क्या यह जारी रहेगा और क्या विपक्ष से सहयोग देने की कोई कोशिश होगी, यह कहना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी.


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संसद में नोंकझोंक पिछले कार्यकाल से कैसे अलग है?


संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोंकझोंक के सवाल पर शशि थरूर ने कहा कि हम पिछली बार की तुलना में अब दोगुनी ताकत के साथ हैं. इससे फर्क पड़ता है. बुलडोजर हमेशा से भाजपा की राजनीति की शैली और लोगों के घरों के साथ उनके व्यवहार का प्रतीक रहा है. पिछली बार जब विपक्ष ने शोर मचाया था, तब भी उन्होंने विधेयक पारित कर दिए थे. अब ऐसा करना मुश्किल होगा.