राहुल गांधी का फैसला, अब कांग्रेस मुख्यालय से ही अपने कामकाज निपटाएंगे
पार्टी के आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त हो रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के नए मुख्यालय में तीन नेताओं की नियुक्ति की जाएगी.
नई दिल्ली : कुछ दिनों पहले कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी ने फैसला लिया है कि अब कांग्रेस के एक नहीं बल्कि दो मुख्यालय होंगे. दरअसल, राहुल ने जब से पार्टी अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला है, तबसे वह 12 तुगलक लेन स्थित अपने आवास वाले दफ्तर में ही राजनीतिक कामकाज को निपटा रहे हैं. अब राहुल चाहते हैं कि उनके राजनीतिक काम कांग्रेस मुख्यालय में ही निपटाए जाए, इसलिए उन्होंने दूसरा मुख्यालय खोलने की बात कही है. पार्टी के आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त हो रही जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस के नए मुख्यालय में तीन नेताओं की नियुक्ति की जाएगी.
राहुल गांधी के दफ्तर का इंचार्ज होंगे दलित नेता
पार्टी के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पार्टी के नए मुख्यालय का इंचार्ज के राजू को बनाया जा रहा है. राजू के अलावा दो और नेताओं की नियुक्ति की जाएगी, ताकि कामकाज को सुगमता ते चलाया जा सके. कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यालय के कामकाज के लिए अन्य दो नेता भी दलित या मुस्लिम ही हो सकते हैं.
19 साल बाद बदलेगा इतिहास
कांग्रेस के इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो 19 सालों में ऐसा पहली बार होगा, जब कांग्रेस अध्यक्ष का काम भी पार्टी के मुख्यालय में होगा. राहुल से पहले सोनिया गांधी ने अपने 19 साल के कार्यकाल के दौरान अपना दफ्तर अपने घर दस जनपथ से ही चलाया था और सारे महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले और कामकाज वह अपने घर दस जनपथ से ही निपटाती थीं. सोनिया गांधी से पहले अध्यक्ष रहे सीताराम केसरी का दफ्तर कांग्रेस मुख्यालय यानी AICC से चलता था अब यह परंपरा दोबारा राहुल गांधी शुरू करने जा रहे हैं.
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लंबे समय तक सोनिया ने संभाली पार्टी की कमान
आपको बता दें कि साल 1991 में अपने पति राजीव गांधी की हत्या के बाद, सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभालने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद पीवी नरसिंह राव को चुना गया. जो बाद में देश के प्रधानमंत्री भी रहे. 1996 में कांग्रेस चुनाव हार गई और माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह, पी चिदंबरम और जयंती नटराजन जैसे कई वरिष्ठ नेताओं ने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सीताराम केसरी के खिलाफ खुलेआम विद्रोह कर दिया. इसके बाद पार्टी को पुनर्जीवित करने का प्रयास करते हुए सोनिया गांधी को 1997 में कलकत्ता पूर्ण सत्र में कांग्रेस में शामिल किया गया और 1998 में उन्हें पार्टी प्रमुख बनाया गया. सोनिया गांधी 19 सालों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं.