नई दिल्ली: कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन के रविवार (18 मार्च) को आखिरी दिन देश भर से जमा हुए पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ उनकी बहन प्रियंका गांधी के समर्थन में भी जमकर नारे लगाये. यहां के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में देश की सबसे पुरानी पार्टी के महा​धिवेशन में हजारों पदाधिकारी और कार्यकर्ता जमा हुए हैं. आज (रविवार, 18 मार्च) महाधि​वेशन के आखिरी दिन भी सुबह से ही स्टेडियम तकरीबन पूरा भरा हुआ था. कार्यकर्ताओं ने 'राहुल गांधी जिन्दाबाद, प्रियंका गांधी जिन्दाबाद' और 'राहुल-प्रियंका बचा लो हिंदुस्तान हमारा' के नारे लगाए. वे ‘भारत माता की जय’ और ‘राहुल तुम संघर्ष, हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे भी लगा रहे थे.


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देश को बांटा जा रहा है, कांग्रेस ही इसे एकजुट रख सकता है; #CongressPlenary में बोले राहुल


देश भर से 3,000 डेलीगेट्स को न्योता
पार्टी के एक पदा​धिकारी ने बताया कि इस महाधिवेशन में देश भर से 3,000 डेलीगेट्स और 15,000 से अधिक पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है. अधिकतर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पार्टी की पारंप​​रिक सफेद रंग की टोपी पहन रखी थी. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता ए के एंटनी, जनार्दन द्विवेदी और कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, पार्टी के प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और पार्टी पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. पिछले साल राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उनके नेतृत्व में कांग्रेस का यह पहला महाधिवेशन है.


मोदी ने व्यक्ति केन्द्रित विदेश नीति को आगे बढ़ाया : कांग्रेस


कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'व्यक्ति केन्द्रित विदेश नीति' पर अमल करने का आरोप लगाते हुए रविवार (18 मार्च) को कहा कि मौजूदा सरकार बड़े देशों के साथ भारत के संबंधों को संभाल नहीं पाई है और इसमें दृष्टि तथा दिशा का अभाव है. पार्टी ने आरोप लगाया कि मोदी की विदेश नीति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है.


कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन में विदेश नीति पर पेश प्रस्ताव में पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिंह राव के कार्यकाल की विदेश नीति की जहां जमकर तारीफ की गयीं, वहीं वर्तमान मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर उनपर जमकर निशाना साधा गया.


पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया, 'विदेश नीति सदा मजबूत राष्ट्रीय सहमति के साथ तालमेल बैठा कर चलती रही है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार ने इसे बाधित कर दिया और गलत सलाह पर आधारित उसके कदमों ने राष्ट्रीय सहमति को भंग किया है."