Maharashtra Vidhan Sabha Chunav: महाराष्‍ट्र में चुनावी समर शुरू हो चुका है. सत्‍तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी अपनी तैयारियों में लगे हैं. सीटों से लेकर सीएम फेस तक डिस्‍कशन हो रहा है. इन सबके बीच महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता किस गठबंधन का हिस्‍सा बनेंगे, इसको लेकर भी लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं. ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्‍योंकि हाल के वर्षों में जिस तरह महाराष्‍ट्र की सियासत में विचारधारात्‍मक लड़ाइयों की लाइन धुंधली हो गई है वहीं राज ठाकरे की सियासत भी रुख बदलती रही है. 


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वैसे राज ठाकरे ने इस बार के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था और राज्‍य में बीजेपी के नेतृत्‍व वाली महायुति उम्‍मीदवारों के लिए प्रचार किया था. हालांकि महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी) को कामयाबी नहीं मिली और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (शरद पवार-उद्धव ठाकरे-कांग्रेस) ने बढ़त हासिल की. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि राज ठाकरे की पार्टी विधानसभा चुनाव में संभवतया महायुति का हिस्‍सा बने.


इन सब चर्चाओं पर विराम लगाते हुए राज ठाकरे ने 20 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति का ऐलान कर दिया है. उन्‍होंने कहा है कि उनकी पार्टी मनसे राज्य विधानसभा चुनाव बिना किसी गठबंधन के अपने बूते लड़ेगी. वह किसी भी अन्य पार्टी की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी.


ठाकरे ने कहा, ‘‘हम पूरे जोश के साथ चुनाव लड़ेंगे. चुनाव के बाद मनसे सत्ता में होगी. मनसे सभी राजनीतिक दलों की तुलना में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.’’ हालांकि यदि मनसे के पिछले प्रदर्शन की चर्चा की जाए तो राज्‍य की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2014 और 2019 के चुनावों में मनसे ने एक-एक सीट जीती थी. राज्‍य में मतगणना 23 नवंबर को होगी.


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राज ठाकरे का 'गणित'
राजनीतिक विश्‍लेषक राज ठाकरे के फैसले को इस नजरिए से देख रहे हैं कि यदि उनको गठबंधन करना होता तो उनके लिए स्‍वाभाविक च्‍वाइस महायुति होती. उन्‍होंने लोकसभा चुनाव के वक्‍त इसके लिए प्रचार भी किया था. लेकिन इस वक्‍त उनको ये भी समझ में आ रहा है कि महायुति के घटक दलों बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के बीच वैसे ही सीटों को लेकर मारामारी चल रही है. ऐसे में 288 सीटों में से अपनी पसंद की सीटों के लिए स्‍कोप निकालना मनसे के लिए बेहद मुश्किल है इसलिए ही संभवतया राज ठाकरे ने एकला चलो की रणनीति पर जोर दिया. 


उन्‍होंने अपने फैसले की पीछे इस बात पर जोर भी दिया कि उनकी पार्टी किसी भी अन्‍य पार्टी की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दरअसल इस कदम के बहाने राज ठाकरे की कोशिश अधिक से अधिक सीटों पर अपनी उपस्थिति को दर्शाना है. वो इस वक्‍त भलीभांति जानते हैं कि केवल उनकी ही पार्टी ऐसी है जो किसी गठबंधन का हिस्‍सा नहीं है. इसलिए उनके पास सभी 288 विधानसभा सीटों पर प्रत्‍याशी खड़े करने का मौका है. एक तरफ जहां दोनों मुख्‍यधारा के गठबंधन का ध्‍यान जीत-हार पर फोकस है वहीं दूरगामी रणनीति के तहत राज ठाकरे इस अवसर का उपयोग अपनी पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए करना चाहते हैं.


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