Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara news) में 3 भाई 11 बैलगाड़ियां और 22 सजे धजे बैलों के साथ बहन के घर मायरा भरने पहुंचे. 11 बैलगाड़ियों में सजे-धजे बैलों की जोड़ी, रुनझुन बैलों के गले में बंधे बजते घुंघरू और चर-चर करते गाड़ियो के पहिए की आवाज और मसक के बाजे पर झूमते -नाचते पारंपरिक ग्रामीण पोशाक पहने लोग नजर आए. 


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ऐसा नजारा उपतहसील पारोली क्षेत्र मानकपुर में देखने को मिला, जहां तीन भाई बैलगाड़ियों में सवार होकर बहन के ससुराल मायरा भरने पहुंचे. तीनों भाई जब हाजीवास के झोपड़ा से माणकपुरा बहन के ससुराल बैलगाड़ियो में पहुंचे तो हर कोई पुरानी यादों में खो गया. आज के इस आधुनिक जमाने ऐसे लोग बिरले ही होते है, जो पुराने जमाने के रीति-रिवाज जिंदा रखने का प्रयास करतें हैं. 


तेजी से बदलते दुनिया के दौर में आज भी पुराने जमाने के रीति-रिवाज ठेठ दूरदराज के गांवो में देखने को मिलते हैं, जहां एक विवाह समारोह में पीहर पक्ष की ओर से मायरा भरने के लिए तीन भाई एक साथ बैलगाड़ियो में बैठकर अपनी बहन के ससुराल पहुंचे. बैलगाड़ी से मायरा लेकर जाते देखकर लोगों को पुराने जमाने की यादें ताजा कर दी. वहीं, रास्ते में, जो भी मिला वह इस खूबसूरत पल को अपने मोबाइल फोन में कैद करने से नहीं रोक पाया. 


हाजीवास (Hajiwas) का झोपड़ा निवासी हरी लाल गुर्जर के घर में लड़की की शादी थी. हरिलाल के ससुराल माणकपूरा से खाना गुर्जर अपनी पुत्री और पप्पू गुर्जर, धर्मराज गुर्जर और ब्रह्मा लाल गुर्जर अपनी बहन को मायरा भरने के लिए बैलगाड़ी से मायरा लेकर उनके ससुराल माणकपुरा पहुंचे. 


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बहन के भाइयों ने बताया कि वे लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि शादियों में बेवजह फिजूलखर्ची नहीं करके परंपरागत पुराने तरीके से करें तथा समाज-सुधार और शिक्षा पर बल दिया जा सकें. इस मौके पर साखड़ा सरपंच गोपाल लाल गूर्जर (Gopal Lal Gurjar) भी इनके साथ थे.