Ajmer: भारत में तीज त्यौहार पर सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग व्यंजन बनाए जाते हैं. वहीं राजस्थान के अजमेर में अजमेर सिंधी समाज में सिंधी घीयर मिठाई की होली के पर्व पर पूजा-अर्चना होती है और इस दौरान इसकी खपत कई गुना तक बढ़ जाती है. जलेबी की तरह दिखने वाली यह सिंधी मिठाई सिंधी समाज के साथ ही अजमेर वासी बड़े ही चाव से खाते हैं. 


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मूलतः आजादी से पहले सिंध हैदराबाद मैं सिंधी घीयर को बनाना शुरू किया गया था और इसके बाद सिंधी समाज के लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहने लगे और जब से ही यह देश भर में सिंधी समाज के साथ ही अलग-अलग स्थानों पर बनाया जाता है.


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अजमेर में बड़ी संख्या में सिंधी समाज की लोग रहते हैं ऐसे में यहां पर इस मिठाई का ज्यादा उपयोग किया जाता है. अजमेर के डीग्गी बाजार और खारी कुई इलाके में रहने वाले मिठाई के व्यापारियों का कहना है बसंत पंचमी से होली और सिंधी समाज की चेटीचंड पर्व तक इसे बड़ी संख्या में खरीदते हैं और होली पर इसकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है और इसका भोग भी लगाया जाता है. 


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इस व्यंजन को बनाने में घी तेल मैदा और शक्कर काम में ली जाती है. मिठाई की व्यापारी गोविंद ने बताया कि बसंत पंचमी से सिंधी घीयर की खपत बढ़ती है और इसका मैदा 1 दिन पहले ही लगाना पड़ता है इसके बाद यह घी तेल भी सेक कर चासनी में रखा जाता है. अजमेर में करीब सौ से डेढ़ सौ दुकानों पर यह व्यंजन बनाए जा रहे हैं जिसकी कीमत ₹180 से ₹200 किलो तक है. 


यह जलेबी की तरह दिखता है लेकिन इसका स्वाद खट्टा मीठा होता है और इसका साइज भी बड़ा होता है जिसके चलते इसे खूब पसंद किया जाता है. कई लोग इसे घर पर ही बनाते हैं और होलीका के दिन होली में इसका भोग भी लगाया जाता है.


Reporter: Ashok Bhati