भगवान बताते है कि शिविर में शामिल एक निजी चिकित्सालय में 26 मई 2012 को भगवान की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया गया जो उसके लिए नासूर बन गया.
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Bhilwara: सरकार से मदद किसी को भारी भी पड़ सकती है इसका उदाहरण देखने को मिला है. बनेड़ा क्षेत्र के खेडलिया का 41 वर्षीय भगवानलाल बलाई के साथ, भगवान बलाई एक दशक से बिस्तर पर जिंदगी गुजार रहा है न खुद उठ सकता और न ही चल सकता आर्थिक रूप से कमजोर इस शख्स का कसूर सिर्फ इतना था कि अपनी बीमारी का सरकारी मेगा कैंप में ईलाज करवाने गया था.
जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर खेड़लिया निवासी भगवान बलाई को सालो पहले पैर को अंगुलिया सुन्न होने की तकलीफ हुई. आर्थिक तंगी के चलते वह इलाज नहीं करा पाया. वर्ष 2012 में पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी की पहल पर भीलवाड़ा एमजी हॉस्पिटल में मेगा चिकित्सा शिविर लगाया गया. जिसमें सरकारी मदद से इलाज हो रहा था. वह सरकारी मदद से इलाज कराने गया. डॉक्टरों ने रीड की हड्डी पर गांठ होने की बात कही और निशुल्क ऑपरेशन कर दिया और वाहवाही लूट ली लेकिन वहां मर्ज दूर करने की बजाय और ज्यादा बढ़ा दिया गया.
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भगवान बताते है कि शिविर में शामिल एक निजी चिकित्सालय में 26 मई 2012 को भगवान की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया गया जो उसके लिए नासूर बन गया. सरकारी शिविर में कराया सर्जरी ऑपरेशन के बाद भगवान के कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया. उसने खड़े और बैठने की क्षमता खो दी. फिर परिजन इलाज के लिए निजी चिकित्सालय अहमदाबाद, उदयपुर और जयपुर, भीलवाड़ा आदि जगह पर घूमते रहे लेकिन कुछ असर नहीं हुआ. इस दौरान इलाज खर्च के लिए खेती की जमीन का एक हिस्सा जरूर बिक गया. परिवार कर्ज में डूब गया. परिजनों ने प्रशासन के चौखट भी धोकी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
नाबालिग बेटे-बेटी की पढ़ाई छूटी
भगवान के घर की हालत यह है कि पत्नी लाड देवी ने कई साल मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण किया. पति भगवान की हालत नहीं सुधरी तो देखभाल के लिए पत्नी को मजदूरी भी छोड़नी पड़ी. स्कूल छोड़कर बड़ा बेटा बाबू (16) मजदूरी कर घर चलाने लगा. बड़ी बेटी पूजा की पढ़ाई बीच में छूट गई. जैसे-तैसे पिता की सेवा घर पर रहकर कर रही थी. उसकी शादी हो गई. अब छोटी बेटी समता बलाई और बेटे राजेश की पढ़ाई भी जैसे-तैसे आगे बढ़ रही है. पिता का सेवा करते हैं कभी पढ़ने जाते हैं और कभी विद्यालय नहीं जा पाते हैं जिससे पढ़ाई भी चौपट हो रही है.
घर में सरकार द्वारा सुलभ शौचालय की सौगात दी मगर भगवान के घर में सरकारी सुविधा का अभाव होने से आज भी शौचालय नहीं है. 12 साल से बिस्तर पर जिंदगी गुजार रहे अब भगवान हताश हो चुका हैं. भगवान बलाई ने जिला प्रशासन और सरकारी शिविर की शरण में जिंदगी बर्बाद कर दी. सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रही. भाजपा और कांग्रेस सरकार आई और सरकार से मुआवजे के लिए कितने बार पत्र द्वारा लिख चुके है लेकिन अभी तक कुछ मदद नहीं मिली. अब तो अपने पैरों पर खड़े होने की उम्मीद भी खत्म हो गई. अब भगवान बलाई सरकार से खफा हैं और परिवार समेत मौत की गुहार लगा रहे हैं.
जब जी मीडिया ने पत्नी लाडदेवी से बात की तो उन्होंने अपनी पीड़ा इन शब्दों में बयां किया. हमसे राज तो रूठा ही है. अब तो भगवान भी रूठ गया है. पति 12 साल से बिस्तर पर है और तीन साल से दवा भी बंद हो गई है. घर में चूल्हा जलाने के लिए राशन नहीं है बिजली का बिल जमा नहीं हो रहा है. पांच लाख रुपए का कर्जा चुकाने के लिए जेवर तक बेच दिए. जमीन पर कुआं और पैसा नहीं होने से खेती भी नहीं कर पा रहे हैं.
प्रशासन का दावा है कि भगवान को 750 रुपए पेंशन और प्रति माह राशन का गेहूं दे रहे हैं. बच्चों को पालनहार योजना का लाभ दिया जा रहा है. अन्य सरकारी सुविधा भी मिल रही है. प्रशासन के इस दावे पर परिजन बोले आठ माह से पालनहार योजना का भुगतान नहीं आया. भाजपा और कांग्रेस शासन में मुआवजे की मांग भी की लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी. हमारे गांव में आज तक कोई बड़ा नेता नहीं आया है. तत्कालीन जिला कलेक्टर शिवप्रसाद नकाते जरूर आए थे. उन्होंने कुछ आर्थिक मदद की और सरकारी सहायता का आश्वासन दिया था लेकिन सरकार ने पीड़ा नहीं सुनी.
ग्राम पंचायत द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. विभिन्न आवास योजनाओं के जरिए या अन्य योजना के मध्य से कोई मदद मिले तो जिंदगी थोड़ी आसान हो सकती है. भगवान केलू पोस मकान में चुल्हे के काले धुवे से ग्रस्त होकर दुखी जीवन जी रहा अब बस उसे इंतजार है तो सिर्फ मौत का.
Reporter: Mohammad Khan