Ajmer news: ब्यावर के रामद्वारा में कलश यात्रा के साथ संगीतमय श्रीमद भागवत कथा शुरू
Ajmer news: स्वामी विश्वासीराम जी महाराज की वरसी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के प्रथम दिन अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के विद्वान संत हरिराम शास्त्री ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा मृत्यु को मंगलमय करती है तो रामायण लोगों को जीना सिखाती है.
Ajmer News: शहर के अजमेरी गेट बाहर स्थित रामद्वारा में स्वामी विश्वासीराम जी महाराज की वरसी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा के प्रथम दिन अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के विद्वान संत हरिराम शास्त्री ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा मृत्यु को मंगलमय करती है तो रामायण लोगों को जीना सिखाती है. भागवत महापुराण सनातन ज्ञान की सरिता है, जो युगों-युगों से प्रवाहित होती आ रही है. इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा जाता है. उन्होंने श्रीमद भागवत कथा का महात्म्मय बताते हुए कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव तक पहुंचता रहा है. श्रीमद भागवत कथा मानव के जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है, जिससे जीवन सुंदर बनता है.
संत हरिराम शास्त्री ने आगे कहा कि श्रीमद भागवत कथा सुनने का व्यक्ति जब संकल्प करता है, उसी समय परमात्मा उसके हृदय में आकर निवास कर लेते हैं. भगवान की कथा ऐसी है कि इसका ज्यों-ज्यों पान करते हैं, त्यों-त्यों इच्छा बढ़ती जाती है. कथा रस कभी घटता नहीं निरंतर बढ़ता रहता है. नित्य नए आनंद की अभिवृद्धि होती रहती है. श्रीमद भागवत आध्यात्म दीपक है. जिस प्रकार एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक प्रज्वलित हो उठते हैं, उसी प्रकार भागवत के ज्ञान से हजारों, लाखों मनुष्यों के भीतर का अंधकार नष्ट होकर ज्ञान का दीपक जगमगा उठता है.
संतश्री ने कहा कि भागवत कथा ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है. इसलिए राजा परीक्षित ने स्वर्ग के अमृत के बजाय कथामृत की मांग की थी. क्योंकि स्वर्गामृत पान करने से पुण्यों का क्षय होता है, पापों का नहीं. वहीं, भागवत कथा का अमृत पान करने से पापों का नाश होता है. कथा से पूर्व गुरुवार सुबह भागवत पोथी कलश यात्रा निकाली गई जिसमें संत साथ-साथ चल रहे थे. इस दौरान माता बहिने सिर पर कलश धारण किए हुए और पुरूष भगवान के नाम का कीर्तन करते हुए पुष्प बरसात के साथ जयकारे लगा रहे थे. इस दौरान संत अमृतराम महाराज पुष्कर, डॉ. स्वामी रामस्वरूप शास्त्री सोजत, संत केवलराम महाराज, संत गोपालराम महाराज, संत जगदीशराम जावला, संत प्रतीतराम, संत पुनीतराम, एलएन बल्दुआ, अतुल बंसल, राजेन्द्र गर्ग, रमेश चौहान, कांता गुजराती, बीना झंवर तथा राजेश झंवर सहित अन्य भक्तगण शामिल थे.
Reporter- Dilip chouhan