Tonk: खेती के नए नए तरीकों के अलावा पशुपालन के जरिए भी लाखों की कमाई की जा सकती है जिसको प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई तरह की योजनाओं को चला रही है ताकि किसान और पशुपालकों को फायदा मिले. इस बीच पशुपालन के जरिए आमदनी करने वालों के लिए दुंबा वरदान से कम नहीं है. जो ना सिर्फ काफी अच्छी कमाई देता है बल्कि इसमें ज्यादा मेहनत की भी जरूरत नहीं होती.


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क्या है दुंबा
दुंबा दरअसल भेड़ की एक प्रजाति है. इसका आकार भेड़ की तरह ही होता है. दुंबा सबसे ज्यादा तुर्की में पाया जाता है. हाल के दिनों में ईद पर कुर्बानी के दौरान इसकी मांग बढ़ गयी है. ज्यादा वजन होने के चलते इसका दाम भी ज्यादा मिलता है.


दुंबा और ऊंट दोनों करते हैं फैट स्टोर
जैसे ऊंट की पीठ पर कुब्बड़ होता है जहां फैट स्टोर होता है, बिल्कुल वैसे ही दुंबा में भी फैट स्टोर होता है, लेकिन ये दुंबा की बैक पर होता है जिसको चकले कहते हैं. जिस दुंबा के चकले जितने बड़े होते हैं और जो अधिक गोल और खूबसूरत दिखते हैं. उसके उतने ही ज्यादा दाम मिलते हैं.


कैसे करें दुंबा का पालन
टोंक जिले के मालपुरा में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान में विदेशी नस्ल की दुंबा भेड़ पर शोध जारी है. वही किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है. मिडिल ईस्ट की दुंबा के लिए राजस्थान का मौसम बिल्कुल अनुकूल होने के चलते यहां इस भेड़ का पालन ना सिर्फ आसान है बल्कि तीन गुना मुनाफा भी देने वाला है. इसलिए टोंक में केंद्रीय भेंड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान की तरफ से पशुपालकों और किसानों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जा रही है  


भेड़ हुआ पुराना अब दुम्बा का है जमाना 
दुंबा भेड़ की मीट लोकल भेड़ की तुलना में ज्यादा होती है. उदाहरण के तौर पर तीन महीने की देशी भेड़ से करीब 15 किलो की होती है. लेकिन दुंबा 30 किलो से ज्यादा की हो जाती है. दुंबा के एक बच्चे की कीमत औसतन 25000 रुपए होती है. दुंबा का बच्चा एक साल के अंदर 70 से 80 किलो का हो जाता है. ये लगभग 70 से 80 रुपए में बिकता है. इस तरह अगर किसी के पास 100 दुंबा है तो वो अपने फार्म से सालाना 20-30 लाख रुपए की आमदनी कर सकता है.


रिपोर्टर- पुरूषोत्तम जोशी