Beawar: शहर में लगातार नियम एवं कायदों को ताक में रख कर हो रहे अवैध निर्माण के मामले में आखिरकार परिषद प्रशासन की अतिक्रमण शाखा की ओर से कार्रवाई की गई है. जिसके तहत शहर के करीब तीन चार स्थानों पर एक दर्जन से अधिक दुकानों को सीज किया गया है. परिषद की इस कार्रवाई से निर्माणकर्ता हरकत में आ गए हैं. अतिक्रमण शाखा प्रभारी झुंझारसिंह के अनुसार लंबे समय से पार्षदों की शिकायतें हो रही हैं.


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 जिसके तहत बुधवार को अवैध निर्माण को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. परिषद की टीम ने शहर के हलवाई गली, खजांची गली, मसूदा रोड़ प्रभू की बगिया के निकट बनी दुकानों सहित चांग गेट क्षेत्र होटल के. सुदामा के समीप बनी दुकानों को सीज कर दिया है. टीम ने यहां दुकानों पर लगे तालों पर सील चपड़ी कर दी है. मामले की खास बात तो यह है कि अधिकांश दुकानों में व्यापार चल रहा है.


कई दुकानों को गोदाम के रूप में काम लिया जा रहा है. जिसमें सामान भरा पड़ा है. ऐसी स्थिति में दुकानों को सीज कर दिए जाने के कारण यहां पर व्यापार करने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. परिषद की इस कार्रवाई के कारण निर्माणकर्ताओं में जोरदार दहशत का माहौल है.


 ज्ञात रहे के परिषद की लापरवाही के कारण ही शहर में अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ रखी है. शिकायतों के बाद भी परिषद ध्यान नहीं दे रही है. आखिरकार जब अतिक्रमण प्रभारी के खिलाफ अवैध निर्माण को शह देने के आरोप सामने आए हैं तो परिषद प्रशासन की ओर से आनन-फानन में कार्रवाई कर दुकानों को सीज करवा दिया गया है. नगर परिषद प्रशासन ने ताबड़तोड़ सीज की कार्रवाई कर शहरवासियों को अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने का संदेश दे दिया.


अब एक सवाल यह उठता है कि जब निर्माण कार्य चल रहा होता है तब यह निर्माण अवैध क्यों नहीं होता है? क्या पूरा भवन बनने और उसमें कारोबार शुरू होने या फिर किसी जनप्रतिनिधि की ओर से शिकायत के बाद ही वह अवैध होता है? अगर निर्माण के समय ही इस प्रकार की कार्रवाई हो तो परिषद प्रशासन मिलीभगत या भ्रष्टाचार जैसे आरोप से बच सकता है लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही उस पर मात्र सीज की कार्रवाई मिलीभगती या भ्रष्टाचार की आशंकाओं को जन्म देती है.


Reporter-Dilip Chouhan


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