Tonk: राजस्थान के टोंक (Tonk News) जिले के देवली शहर के समीप कुचलवाड़ा गांव में बिजासन माता मंदिर (Bijasan Mata Temple) में भक्तों का तांता लगता है. यहां लकवा जैसी गम्भीर रोग से ग्रस्त मरीज, जो एक बार जीने की आस छोड़ देते हैं लेकिन देवली के कुंचलवाड़ा गांव स्थित बिजासन माता उनके लिए आशा की किरण बनती है.


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आधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी लकवा रोग के सामने बेबस साबित हुई है लेकिन ऐसे असाध्य रोग के इलाज करने के लिए दूर-दूर तक बिजासन माता प्रसिद्ध है, जहां आज भी माता की कृपा से कई लकवा ग्रस्त रोगियों का इलाज होता है. यह सब श्रद्धा और आस्था का ही चमत्कार माना जाता है. प्रतिवर्ष यहां आने वाले लकवा ग्रस्त रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. यह पौराणिक स्थल राष्ट्रीय राजमार्ग जयपुर कोटा (Jaipur-Kota) पर स्थित देवली उपखंड से 4 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां से राज्य के ओर अन्य राज्यों के हजारों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है.


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मां की कृपा से लाभ
मंदिर का इतिहास मंदिर के बारे में पुजारी गणपत लाल प्रजापत ने बताया कि लगभग 200 साल पहले कुम्हार जाति के ईशोधा नामक व्यक्ति को माता ने सपने में दर्शन देकर स्थान पर गोबर से लिपकर धूप लगाने और पूजा करने के लिए कहा था. कहा जाता है कि उसी स्तर पर इस चमत्कारी प्रतिमा का प्राकट्य हुआ. पुजारी ने बताया कि रोगियों के यहां आने से खूब लाभ मिलता है. दूर-दूर से लोग लकवा रोग के इलाज के लिए यहां आते हैं ओर मां की कृपा से लाभ मिलता है.


चिकित्सा जगत में इलाज के लिए अभी भी खोज जारी
चिकित्सकों का मानना है कि उक्त रोग रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त हो जाने से हो जाता है. इसके अतिरिक्त यह दिमागी बुखार निम्न और उच्च रक्तचाप के कारण भी इस रोग के होने की संभावना रहती है. आधुनिक चिकित्सा जगत में इसके इलाज के लिए अभी भी खोज जारी है लेकिन यहां माता के दरबार में हजारों रोगियों को लाभ मिला है.


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नवरात्रि में पैदल दर्शन
नवरात्रि (Navratri 2021) के दिनों में रोगियों से माता का मंदिर का भरा रहता है. माता के दर्शनों के लिए दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का विशाल मेला लगता है. माताजी के कई श्रद्धालु दोनों ही नवरात्रि में पैदल दर्शन करने के लिए आते हैं. आरती में नियमित रूप से भाग लेने पर लकवा रोगी धीरे-धीरे उठकर चलने की स्थिति में आ जाता है और कुछ दिन में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है.


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शरीर पर मालिश
यहां रोगियों को माता जी की भभूत खिलाई जाती है और रोग ग्रस्त अंगों पर माता का धागा बांधा जाता है. इस दौरान रोगियों को तेल अभिमंत्रित कर दिया जाता है, जिसका रोगी के रोग प्रभावित शरीर पर मालिश की जाती है, जिससे वो अंग पूर्ण रूप से फिर से काम करने लग जाता है. माताजी कि श्रद्धा के चलते यहां लोग कई तरह की मिन्नतें रखते हैं.


वहीं, रोगियों को रहने और प्रसादी के लिए यहां धर्मशाला भी बनाई गई है. साथ हीं, गांव के व्यक्तियों ने बताया कि माताजी के दरबार आने के बाद कोई भी रोगी निराश नहीं लौटता है. साथ हीं, माता रानी की कृपा से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है.
Report- Purushottam Joshi