धन तेरस पर पुष्कर में भगवान कुबेर के मंदिर के खुले पट, श्रद्धालुओं का लगा तांता
धनतेरस पर यूं तो देशभर के मंदिरों में पूजा-अर्चना किया जाता है, पर दुनिया से इतर वर्ष में केवल एक दिन पुष्कर स्थित जगत पिता ब्रह्मा मंदिर में ब्रह्मा जी के द्वारपाल भगवान कुबेर की धनतेरस के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
Pushkar: दीपावली के पहले धनतेरस पर यूं तो देशभर के मंदिरों में पूजा-अर्चना किया जाता है, पर दुनिया से इतर वर्ष में केवल एक दिन पुष्कर स्थित जगत पिता ब्रह्मा मंदिर में ब्रह्मा जी के द्वारपाल भगवान कुबेर की धनतेरस के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के गर्भ ग्रह के सामने उनके दो द्वारपालों के मंदिर हैं.
एक तरफ सुरपति इंद्र और दूसरी तरफ धनपति कुबेर विराजित हैं. वर्षा काल में भगवान इंद्र के द्वार खोले जाते हैं, तो वहीं, दीपावली के पूर्व धनतेरस के अवसर पर देवताओं के खजांची और भगवान ब्रह्मा के द्वारपाल कुबेर के कपाट खोले जाते हैं.
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साल में एक बार खुलते हैं मंदिर के कपाट
रविवार को मंदिर की अस्थाई प्रबंधन समिति और पुजारी परिवार द्वारा मंदिर के कपाट खोले गए और शुभ महूर्त में भगवान कुबेर की आरती उतारकर देश में खुशहाली और सुख सम्रद्धि की मनोकामना मांगी. इससे पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान कुबेर का अभिषेक भी किया. मंदिर पुजारी कृष्ण गोपाल वशिष्ठ ने बताया कि सदियों से यह मान्यता रही है कि जगत पिता ब्रह्मा के द्वारपाल कुबेर घर में अन्न धन की बारिश करते है.इसी मान्यता के चलते धनतेरस के अवसर पर वर्ष मेंब एक बार भगवान कुबेर का आव्हान कर देश में धन और लक्ष्मी की मनोकांमना की जाती है.
2 दिन मनाया जाएगा धनतेरस का पर्व
ज्योतिषी गणनाओं के अनुसार इस वर्ष 2 दिन की धनतेरस का अवसर आया है.ज्योतिषविद कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अंतर्गत आज के दिन ही देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर का प्रादुर्भाव हुआ था.इन पांच दिवसीय दीपोत्सव के क्रम में लक्ष्मी पूजन के पूर्व कुबेर पूजन किया जाता है, जिससे धन धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
बद्रीनाथ और पुष्कर में है प्राचीन कुबेर मंदिर
गौरतलब है कि साल में एक बार धनतेरस के अवसर पर जगतपिता ब्रह्मा के द्वारपाल कहे जाने वाले भगवान कुबेर के इस मंदिर के कपाट खुलते हैं. मान्यता है कि भारत में बद्रीनाथ और ब्रह्मा मंदिर इन दो स्थानों पर ही भगवान कुबेर का प्राचीन मंदिर है.