Beawar: ब्यावर शहर के अजमेरी गेट स्थित रामस्नेही संप्रदाय के रामद्वारा में गुरुवार को रक्षाबंधन पर्व मनाया गया. इस दौरान आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए संत गोपालराम महाराज ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहार सिर्फ मौज-मस्ती और खाने-पीने तक सीमित नहीं हैं बल्कि उन त्योहारों के माध्यम से जीवन में नव-चेतना के प्राण फूंकने का प्रयास होता है. रक्षा बंधन के पर्व पर हम परंपरागत मूल्यों से ऊर्जा ग्रहण करते है. महाराज ने कहा कि रक्षा करने का भाव एक ऐसा भाव है, जो हमें अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा तो देता ही है. 


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वहीं दूसरों को भी निर्भय प्रदान करने की स्वतंत्रता देता है. रक्षा बंधन का त्योहार हालांकि भाई-बहन के प्रेमपूर्ण संबंधों और भाई द्वारा बहन की रक्षा के संकल्प तक ही सीमित रह गया है लेकिन इस त्योहार के पीछे व्यापक संदेश निहित है. इसमें बहन की रक्षा, परिवार की रक्षा, समाज की रक्षा, देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, अपनी संस्कृति की रक्षा आदि का भाव सम्मिमलित है. 


वहीं रक्षा बंधन में प्रयुक्त शब्द बंधन भले ही नकारात्मक दिखे लेकिन यहां यह अत्यंत सकारात्मक है. अच्छे प्रयोजन के लिए स्वयं को या किसी को बंधन में बांधना निजी स्वतंत्रता का सूचक है. रक्षा बंधन हमें स्वतंत्रता देता है. स्वयं को इस योग्य बनाने का जिससे हम रक्षा कर सकें अपने बल के द्वारा, अपनी बुद्धि के द्वारा और अपनी विद्या के द्वारा. 


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बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती है, तो वह अपनी बहन को अभय प्रदान करता है, जिससे बहन स्वतंत्रता का अनुभव करती है. हमारे सैनिक देश की रक्षा का संकल्प लेकर देश को अभय प्रदान करते है. इस दौरान संत ने वामन बन गए कृष्ण मुरारी पधारे बलीराजा के द्वार और राखी बंधवा ले मेरे वीर बहना बड़ी दूर से आई भजन सुनाकर उपस्थित सभी श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया. 


रक्षा बंधन पर्व के तहत धर्मीचंद शर्मा, उमेश शर्मा, रूद्रदेव माहेश्वरी, सतनारायण शर्मा, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, मोहन चौहान, रमेश चौहान, दुर्गा बाई साहू, ललिता कुमावत, सीता देवी अग्रवाल, मीना देवी माली सहित अन्य सभी भक्तों ने गुरुवाणी का भजन करके संतो को माला पहनाते हुए संत गोपालराम महाराज, संत पुनीतराम महाराज, बाल कलाकार रवि और सुनील के हाथ पर राखी बांध करके रक्षाबंधन कार्यक्रम का शुभारंभ किया.


Reporter: Dilip Chouhan


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