Ajmer: भाई और बहन के अटूट विश्वास और पवित्र प्रेम के पर्व रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर बहने रक्षा सूत्र बांधते हैं और भाई अपनी बहनों को उनकी सुरक्षा का वचन देती है. वहीं तीर्थ नगरी पुष्कर में तीर्थ पुरोहित विशेष श्रावणी उपाक्रम स्नान करते हैं. पुष्कर के स्थानीय तीर्थ पुरोहितों ने पवित्र सरोवर के घाटों पर विशेष श्रावणी स्नान किया. राक्षबंधन के पर्व पर पुरोहितों ने पुष्कर सरोवर पर सैकड़ो की संख्या में अरण्य क्षेत्र के विप्रो ने भाग लिया. 


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श्रावणी कर्म करने से ब्राह्मणों को ज्ञात और अज्ञात पापों से मुक्ति मिलती है, इसी मान्यता के अनुसार पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर सैकड़ों पुरोहितों ने 108 स्नान कर पापों का प्रायश्चित किया. पुष्कर सरोवर के वराह, बंशी, ब्रह्वां, बद्री घाट पर श्रावणी कर्म करने वाले ब्रह्मणों का तांता लग गया. इस दौरान पंच गव्यों, सात धान से स्नान कर बदले जनेऊ भी बदले गये. सरोवर के वराह, बंशी, बद्री, गऊ, ब्रह्म घाट पर कई आयोजन किये गए. 


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मुख्य आचार्य पंडित पवन राजऋषि के सानिध्य में किए गए इस अनुष्ठान में पहले दसविद स्नान किया गया, इसके अंतर्गत गौमूत्र, घी, पूसा, स्वर्ण, गोबर, दूध, मृतिका, फल, वनस्पति और दरमा का स्पर्श कर शरीर को पवित्र किया गया. इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अलग-अलग वस्तुओं से स्नान हुए. ब्राह्मण समाज ने शुद्धिकरण और देव कर्म करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए इस धार्मिक अनुष्ठान में उत्साह के साथ भाग लिया. श्रावणी कर्म के दौरान सभी हिन्दू देवी-देवताओं को अर्क देकर मानव के कल्याण की कामना की गई.


इस अवसर पर देव, ऋषि मुनियों और अपने-अपने आराध्यों को तर्पण भी दिया गया. पुरोहितों के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र होने के कारण श्रावणी कर्म करने का विशेष महत्व होता है.


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