अलवर : अलवर नगर परिषद सफाई ठेकेदार के द्वारा हड़ताल पर चले जाने के कारण अलवर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लग चुके हैं. ठेकेदार की मांग है पहले उसका बकाया भुगतान किया जाए ताकि वह सफाई कर्मचारियों का भुगतान कर सके.  ठेकेदार को अंदेशा है की दूसरे ठेकेदार पक्ष द्वारा उन्हें हटवाने के लिए उनका भुगतान रुकवाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है .
दरअसल अलवर नगर परिषद जिसे हाल ही में गहलोत सरकार के कार्यकाल के अंतिम बजट में नगर निगम का दर्जा दे दिया गया लेकिन यहां नगर परिषद की ही व्यवस्था ही नही संभल पा रही तो निगम को कैसे संभाला जाएगा ,


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यहां सफाई व्यवस्था के नाम से हर माह करीब 70 लाख रु खर्च किये जाते है जिसमे ठेकेदार के करीब साढ़े पांच सौ कर्मचारी काम करते है इसी तरह शहर की सफाई में नगर परिषद के स्थायी सफाई कर्मचारी भी करीब 6 सौ है यानी शहर के 65 वार्डो की सफाई में करीब 11 सौ सफाई कर्मचारी काम कर रहे है , लेकिन फिर भी शहर में सफाई का अभाव बना रहता है , चारो तरफ गंदगी का आलम है , नालों में सफाई नही हो पाती,


वहीं आरोप यह भी लगते है ठेकेदार पर्याप्त कर्मचारी नही लगाते , लेकिन इन दिनों मामला दूसरा है यहां सफाई ठेके का काम करने वाली त्रिमूर्ति एंटरप्राइजेज फर्म को जनवरी माह का भुगतान नही हो पाया जिसके चलते ठेकेदार ने काम बंद कर दिया , ठेकेदार कम्पनी की मांग है पहले उनका पिछला भुगतान करे ताकि वह कर्मचारियों को तनख्वाह देकर काम शुरू करा सके , दरअसल ठेकेदार को डर है पिछली बार की तरह कही उनके भुगतान में से पेनल्टी की राशि न काट ली जाए , ठेकेदार को यह भी डर है दूसरी प्रतिद्वंद्वी पार्टी जिसमे एक भाजपा के पार्षद है यह सब उनकी वजह से हो रहा है.


वह खुद सफाई ठेका लेना चाहते है इसलिए हमें परेशान किया जा रहा है . हमे ब्लेक लिस्ट करने की उनकी मंशा है . वहीं दूसरी तरफ कुछ पार्षदों का कहना है सफाई ठेका भ्रष्टाचार की जड़ है , जबकि एक बड़ी राशि करीब 70 लाख इस पर खर्च की जा रही है जिसमे भी करीब 6 सौ सफाई कर्मचारियों की तनख्वाह नगर परिषद देती है ऐसे में ठेकेदार के भी कर्मचारियों को स्थायी नॉकरी देकर परिषद अपने स्तर पर सफाई करवाये तो भृष्टाचार भी नही होगा और साढे पांच सफ़ाई कर्मचारियों को स्थायी नॉकरी भी मिलेगी.