Alwar: बानसूर युवा जागृति टीम ने क्लीन सरिस्का का चलाया अभियान
बानसूर यूवा जागृति की टीम ने आज अंतर्राष्ट्रीय विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर सरिस्का अभयारण्य में ग्रीन सरिस्का, क्लीन सरिस्का अभियान को लेकर 22 वा चरण पूरा किया. गोकुल सैनी ने बताया कि युवा जागृति की टीम वोल्टियर्स के साथ मिलकर पिछले 10 सालो से सरिस्का को साफ करने में लगी हुई है.
Alwar News: बानसूर यूवा जागृति की टीम ने आज अंतर्राष्ट्रीय विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर सरिस्का अभयारण्य में ग्रीन सरिस्का, क्लीन सरिस्का अभियान को लेकर 22 वां चरण पूरा किया. जिसमें युवाओं की टीम ने सरिस्का क्षेत्र में प्लास्टिक और कचरे की सफ़ाई कर उचित स्थान पर डाला गया.
इस दौरान युवाओं की टीम ने बताया कि आज़ सरिस्का को साफ सुथरा बनाने के लिए यूवा जागृति की ओर से पिछले 10 सालों से ग्रीन सरिस्का, क्लीन सरिस्का अभियान चला रखा है जिसका आज 22 वां चरण है. उन्होनें बताया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर युवाओं को आगे आना चाहिए. आज पुरे देश में पॉल्यूशन बहुत ज़्यादा फैल रहा है जिसको रोकने के लिए पेड़ पौधों को सुरक्षित करना चाहिए. ज्यादातर पेड़ो की कटाई होने से लोगों को ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है जिससे लोगो को कई प्रकार की बीमारियां हो रही है. हमारी ओजोन लेयर में भी पॉल्यूशन की वजह से छेद हो रहा है. इसलिए उन्होनें सन्देश देते हुए कहा कि इन सभी से बचने के लिए हमे ज्यादा से पेड़ पौधे लगाने चाहिए और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना चाहिए.
इस दौरान गोकुल सैनी ने बताया कि युवा जागृति की टीम वोल्टियर्स के साथ मिलकर पिछले 10 सालो से सरिस्का को साफ करने में लगी हुई है. जिसका आज 22 वां चरण पूरा किया गया है. ग्रीन सरिस्का अभियान में अभी तक पीपल, बरगद, नीम और गुलमोहर के 25 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं. अब इन पेड़ों की लंबाई 10 से 15 फूट तक पहुंच गई है और आगे भी ग्रीन सरिस्का अभियान जारी रहेगा. इन पेड़ों की खासियत है कि इनका जीवन काल लंबा होता है और ये वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार करते हैं.
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आज सरिस्का अभयारण्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है. यहां पर्यटक काफी संख्या में बाघों के दर्शन करने आते हैं और बाघों के दर्शन हो रहे हैं. जंगल का वातावरण इतना साफ सुथरा और शांत है कि वन्य प्राणी आनंद पूर्वक अपना जीवन जीते हैं और अभ्यारण में आने वाले पर्यटक मनमोहक दृश्यों को देख पाते हैं. चाहे फिर बाघ हो या फिर मगरमच्छों के बच्चे या हीरनों के झुंड या अन्य कोई जीव हो. पक्षियों का कलरव विचलित मन को शांत करता है और आज जो यह मनोरम दृश्य देख पा रहे हैं इसमें कहीं ना कहीं मनुष्य का ही हाथ है. जिसने अपनी बुद्धि शक्ति वह समझ से इस उपकार प्रकृति को बढ़ाने में अपना सहयोग दिया है.