Behror: नहीं जाने दिया शमशान तो सड़क पर ही शव को रख कर बैठे ग्रामीण, कोर्ट के आदेश के बाद भी बेबस प्रशासन
अलवर के बेहरोड़ में कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासन बेबस नजर आ रहा है. जहां कोर्ट के आदेश के बाद भी शमशान जाने की जमीन पर एक दबंग ने कब्जा किया हुआ है.
Behror: अलवर जिले के बहरोड़ क्षेत्र के गांव मुंडियाखेड़ा में सरकारी टीचर की मौत के बाद श्मशान तक जाने का रास्ता नहीं मिलने से नाराज ग्रामीणों और परिवारजनों ने अर्थी को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया. परिजन शव के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान जाने के लिए रास्ते की मांग करते रहे. सूचना के बाद थानाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर लोगों से समझाइश की लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. प्रशासन भी मौके पर न पहुंचने पर लोगों ने अपनी रिस्क पर श्मशान में पहुंचकर शव का अंतिम संस्कार किया.
बहरोड़ थाना आधिकारी वीरेंद्र पाल ने बताया कि मामले की जानकारी ली. लोगों से समझाइश का प्रयास किया गया लेकिन रास्ते की मांग लेकर लोग अड़े रहे और वहीं प्रशासन को मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे. फिलहाल शव का अंतिम संस्कार करवा दिया गया है. आज सुबह विजयपाल यादव का अटैक आने से मौत हो गई थी. जिसकी अर्थी सैकड़ों ग्रामीणों सहित परिजन श्मशान घाट लेकर जा रहे थे.
दरअसल शमशान घाट जाने का रास्ता सरकारी भूमि से ही हो कर गुजरता है. जिस पर स्टे के आदेश लिया हुआ था. इस पर ग्रामीणों ने केस लड़ा और स्टे के आदेश ग्रामीणों के पक्ष में निरस्त हो गया. जिसके बाद भी हरिसिंह ने मनमानी करते हुए रास्ते को रोक दिया. ग्रामीणों की ओर से शव को हरीसिंह ने जमीन से निकलने का रास्ता नहीं दिया.
जिसके बाद ग्रामीण शव को सड़क पर ही रखकर रास्ते की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए. मौके पर पुलिस भी पहुंची लेकिन काफी देर बाद भी को समाधान नहीं निकला सका. यहां तक कि प्रशासन मौके पर सूचना के बाद भी नहीं पहुंचा. आखिर लोगों ने जहमत उठाई और अपनी रिस्क पर दोपहर को श्मशान पहुंच कर शव का अंतिम संस्कार किया. 5 महीने पहले भी इसी गांव की वृद्ध धूमा देवी का निधन हुआ था तब भी हरिसिंह ने रास्ता रोका था. उस समय कोर्ट स्टे होने से प्रशासन ने उसका अंतिम संस्कार सड़क किनारे करवा कर मामले को शांत करवाया था.
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