Alwar: अलवर कला भारती में दीक्षा संस्कार कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मुंबई से आए ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित उस्ताद लियाकत अली खान ने मंजीत जादौन को शिष्य स्वीकार किया. खान साहब ने 300 फिल्मों में सारंगी बजाई है. शायद धरती का कोई कोना ही हो जहां खान साहब ने सारंगी के स्वर ना बिखेरे हो. तबले पर अकबर हुसैन ने संगत की प्रोग्राम की दीक्षा से शुरुआत सोलो वादन तबला से हुई गायत्री मंदिर की पूरी टीम ने वैदिक परंपरा का निर्माण कियां वहीं अकबर हुसैन ने फातिमा पढ़ा.


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अतिथि के तौर पर नरेंद्र जावड़ा, विनोद, समसूदीन खान, मंजरी, मामराज सोनी, निखिल मिश्रा, डॉ सरोज गुप्ता, जेपी गुप्ता, कांति जैन, अशोक उपाध्याय, ज्ञानेंद्र, निर्माण, बोधिसत्व स्वामी, एचएस शर्मा, बनवारी, प्रीति पांडे, विनोद जुनेजा, चिन्मय पाराशर और नेक कमाई टीम शामिल रहे.


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इस मौके पर मुंबई से आए सारंगी वादक लियाकत अली खान ने बताया कि आज के समय को देखते हुए संगीत और गायन की परंपरा विलुप्त होती जा रही है, क्योंकि व्यक्ति को बिल्कुल भी फुर्सत नहीं है. उन्होंने कहा कि सारंगी नाम का जो वाद्य यंत्र है, यह बहुत ही मिठास भरा यंत्र है. इस यंत्र को हर कोई नहीं चला सकता. ऐसे में अलवर के मंजीत जादौन ने जो यह सारंगी यंत्र सीखा. उसका उत्साह बढ़ाने के लिए और उसके गंडा बाधने के लिए वह स्वयं आए और मंजीत जादौन को अपना शिष्य स्वीकार किया.