Alwar: अलवर के गीतानन्द शिशु चिकित्सालय के एफबीएनसी वार्ड में भर्ती कम वजन के बच्चों के लिए कंगारू मदर केयर थैरेपी जीवनदान साबित हो रही है. अनेकों ऐसे नवजात बच्चों को जीवनदान मिला जिनका जन्म के समय वजन एक किलो से भी कम था.


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अलवर के गीतानन्द शिशु राजकीय चिकित्सालय में एक किलो से कम के वजनी करीब आधा दर्जन से ज्यादा बच्चों को जीवनदान मिला है. इसमें कंगारू मदर केयर थैरेपी कारगार साबित हो रही है. अस्पताल की एफबीएनसी में पांच माह में सात सौ बच्चे भर्ती हुए. जिनमें 150 बच्चे कम वजनी थे. इनमें निजी नर्सिंग होम व सरकारी अस्पतालों के बच्चे थे. इनमें करीब 9 बच्चे तो ऐसे थे जिनका वजन 1 किलो से भी कम था , ऐसे बच्चों को रेडिएंट वार्मर में चिकित्सकीय देखभाल के साथ कंगारू मदर केयर थेरेपी से लाभ मिला और इनकी जान बची. स्वस्थ बच्चे का वजन अमूमन ढाई किलो से ज्यादा होता है लेकिन यहां डेढ़ सौ बच्चे ऐसे थे जिनका वजन कम था.


अलवर जिले के सबसे बड़े अस्पताल गीतानन्द शिशु अस्पताल में रोजाना ऐसे कई बच्चे भर्ती होते हैं जिनका वजन सामान्य से कम होता है. इनकी चिकित्सीय देखभाल रेडियंट वार्मर से तो की ही जाती है लेकिन अब कंगारू मदर केयर भी इन बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है , शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोमदत्त बताते हैं दरअसल कंगारू मदर केयर थेरेपी से अच्छे परिणाम सामने आए हैं , जिस तरह कंगारू मदर अपने बच्चे को अपने साथ पेट से चिपका कर रखती है उसकी केयरिंग करती है कंगारू के बच्चे का वजन 50 ग्राम से बढ़कर करीब 50 किलोग्राम तक हो जाता है यह कंगारू मदर केयरिंग पद्दति को वहीं से अपनाया गया है.


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अलवर के एफबीएनसी वार्ड में पिछले पांच माह में करीब सात सौ बच्चे भर्ती हुए. जिसमें निजी व सरकारी अस्पतालों में जन्मे बच्चे शामिल थे. इसमें 150 बच्चे ऐसे थे जो कम वजनी थे वहीं सात बच्चे ऐसे भी थे जिनका वजन एक किलो से भी कम था. अब इनकी जान बचाने में कंगारू मदर केयर पद्दति ही ज्यादा कारगर साबित हुई. कई बच्चे ऐसे थे जिनका वेंटिलेटर पर बचने की उम्मीद कम थी लेकिन कंगारू मदर केयर से बच्चों को जीवनदान मिला.


दरअसल कंगारू मदर केयर में डॉक्टर की सलाह पर ऐसे कम वजनी बच्चों को मदर चेस्ट की गर्मी देकर समय अनुसार स्तनपान करवाना ,कंगारू मदर केयर से तापमान बनाये रखना सहित विभिन्न तरह से केयर की जाती है. इससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ भी दूर होती है ,एनवायरमेंट इंफेक्शन से भी बचाया जाता है.


अस्पताल के नर्सरी विभाग में भर्ती ऐसे बच्चे जिनका वजन एक किलोग्राम से कम था उन्हें नया जीवनदान मिला. पिछले पांच माह में भर्ती बच्चों में 150 बच्चे कम वजनी थे वे या तो प्रिमेच्योर थे या कुपोषण का शिकार थे. इनमें भी कुछ बच्चे ऐसे थे जो एक किलोग्राम से कम वजन के थे. जिनको बचाना किसी चुनोती से कम नही था ,सामान्यतः बच्चे का वजन ढाई किलोग्राम होता है.


एक्सपर्ट का कहना है कंगारू मदर केयर वो तकनीक है जिससे नवजात बच्चे को मां सीने से चिपका कर रखती जिससे बच्चे में गर्माहट ट्रांसफर होती है. इससे बच्चे का तापमान स्थिर रहता है. वहीं मां के दिल की धड़कन से बच्चा सुरक्षित महसूस करता है और उसे नींद भी अच्छी आती है. इस दौरान बच्चे को ठंड लगने व बुखार की आशंका भी कम हो जाती है और उसका धीरे धीरे वजन भी बढ़ने लगता है.


 


Report-Jugal Kishor


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