Imran Khan: वैसे तो इमरान खान वो नाम है, जिससे पीएम मोदी ने कभी बात नहीं की. ना कभी दुआ ना कोई सलाम. आलम ये है की इमरान, मोदी का ध्यान खींचने के लिये सारे नुस्खे आज़मा चुके है, फिर भी बात नहीं बनी. इस बीच हालत ये है की इमरान मियां की कुर्सी कब चली जाये पता नहीं. फिलहाल पाकिस्तान में जारी सियासी घमासान के बीच इमरान खान छाए हुए हैं. जिन्होनें एकजुट विपक्ष के अविश्‍वास प्रस्‍ताव को अपने एक वार से फेल कर दिया. विपक्ष को उम्मीद थी की इमरान संसद में हार जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अविश्‍वास प्रस्‍ताव खारिज हो गया. अब मामला कोर्ट में हैं. 


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शेक्सपियर ने कहा है कि नाम में क्या रखा है, लेकिन यहां सारा माजरा नाम का ही है. क्यूंकि आप हैरान रह जाएंगे, जब हम आपको बताएंगे की इमरान खान को मोदी ने शाबाशी दी है. लेकिन ज़रा ठहरये ये वो इमरान खान नहीं है. वो तो हो भी नहीं सकते. ये है हर दिल अज़ीज़ भारत की शान अलवर वाले हमारे अपने इमरान खान.


राजस्थान के अलवर के संस्कृत शिक्षक इमरान खान का लंदन के वेम्बली स्टेडियम में भारी भीड़ को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जिक्र भी किया था और खूब तारीफ भी की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि राजस्थान के अलवर में इमरान खान नामक के एक शिक्षक है. उन्होंने 50 मोबाइल एप बनाए हैं और सारे एप को छात्रों को मुफ्त में समर्पित कर दिया. पीएम मोदी ने कहा कि मेरा भारत अलवर के उस इमरान खान में है.



कौन है राजस्थान के इमरान खान
37 साल के इमरान खान, 1999 से सरकारी उच्च प्राथमिक संस्कृत स्कूल, जातों का बास, अलवर में संस्कृत के शिक्षक हैं. वो 2011 से एक स्व-निर्मित वेब डेवलपर हैं. इमरान खान कहते हैं कि मुझे शांत और रचनात्मक इंटरफेस बनाना पसंद है. मेरा इंटरफेस हमेशा ताज़ा विचारों से भरा होता है. मुझे चुनौतियां पसंद हैं, चुनौती के बिना मैं काम नहीं कर सकता. इमरान खान ने 1999-2001 में अर्थशास्त्र, अंग्रेजी साहित्य और लोक प्रशासन में 63% अंकों के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की. बाद में उन्होंने 2005-06 में 55% अंकों के साथ अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की. इससे पहले उन्होंने 2002-04 में अंग्रेजी में एमए की पढ़ाई की थी.


खान कहते हैं, "मैं हमेशा कुछ रचनात्मक काम करना पसंद करता हूं. मैंने एक शौक के रूप में वेब विकास की मूल बातें सीखीं. अब मैं HTML के साथ PHP, MySQL, Sqlite, jquery का उपयोग करके अपने स्वयं के वेब ऐप्स विकसित करता हूं. कंप्यूटर में औपचारिक शिक्षा नहीं होने के चलते, खान ने किताबों से और गूगल से कंप्यूटर के बारे में सब कुछ सीखा है. यह सब 2005 में शुरू हुआ जब उनके छोटे भाई इदरीस, कंप्यूटर विज्ञान में बी.टेक, ने गुड़गांव में नौकरी के लिए जाने से पहले अपनी किताबें घर पर छोड़ गए थे और खान ने अपने खाली समय में इन किताबों को पढ़ा और एचटीएमएल के बारे में जानने के बाद एक वेबसाइट तैयार कर दी.


इमरान ने कहा कि हालांकि उन्होंने अब तक 100 से अधिक वेबसाइट बनाई हैं. लेकिन वो केवल दो -www.gktalks.com और www.gyanmajari.com का प्रबंधन करते हैं. अब तक वह शिक्षा से जुड़े करीब 50 एप विकसित कर फ्री में बांट चुके हैं. कक्षा 9वीं के लिए सामान्य विज्ञान हिंदी में एक एप को 5,000,00 से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है.