Fatehpur Sikar Vidhansabha Seat : राजस्थान में सबसे ज्यादा पारा का उतार-चढ़ाव शेखावाटी के फतेहपुर में होता है और यहां का सियासी पारा भी इन दिनों चढ़ा हुआ है. इस सीट से कांग्रेस के हाकम अली खान विधायक है तो वहीं लंबे वक्त से बीजेपी इस सीट को पाने की जुगत में जुटी हुई है.


खासियत


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इस सीट पर अब तक कांग्रेस ने छह बार जीत हासिल की है तो वहीं भाजपा 1993 के बाद से अब तक जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई है. हालांकि इस बीच एक बार यह सीट निर्दलीय के खाते में भी गई थी. इस सीट पर सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड भंवरू खां के नाम है, जिन्होंने 1998 में पहली बार जीत हासिल की थी. इसके बाद वह 2003 और 2008 में भी जितने में कामयाब रहे, जबकि 2018 में उनके भाई हाकम अली खान ने जीत दर्ज की.


जातीय समीकरण


फतेहपुर विधानसभा सीट पर जाट और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अत्यधिक है, जबकि मूल ओबीसी और बनिया, ब्राह्मण भी सियासी अस्तित्व रखते हैं. इस सीट पर लंबे वक्त तक मुस्लिम प्रतिनिधि का दबदबा रहा है. हालांकि इस सीट पर जाट भी जितते आए हैं.


2023 का विधानसभा चुनाव


2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर तीन बार के विधायक भंवरू खां के भाई हाकम अली खान को चुनावी मैदान में उतार सकती है तो वहीं बीजेपी में दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है, इसमें सुनीता कुमारी फिर से दावेदारी जाता रही हैं. साथ ही संघ पृष्ठभूमि से आने वाले मधुसूदन भिंडा भी विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से दावेदारी जता रहे हैं, भिंडा फतेहपुर नगर पालिका से दो बार पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं पूर्व विधायक स्वर्गीय बनवारी लाल भिंड के बेटे है. दूसरी ओर 2013 में निर्दलीय ही चुनाव जीतने वाले नंदकिशोर भी चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस चुनाव में नंद किशोर के पुत्र भी चुनावी किस्मत आजमा सकते हैं.


फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास


पहले विधानसभा चुनाव 1957


1951 के विधानसभा चुनाव में फतेहपुर लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र का ही हिस्सा था. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से अब्दुल गफ्फार खान को चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं निर्दलीय के तौर पर आलम अली खान ने ताल ठोकी. वहीं चुनावी नतीजे आए तो कांग्रेस के अब्दुल गफ्फार खान को 3,955 वोट मिले तो वहीं आलम अली खान को 2,949 वोट ही हासिल हो सके और उसके साथ ही अब्दुल गफ्फार खान की इस चुनाव में जीत हुई.


दूसरा विधानसभा चुनाव 1962


1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अब्दुल गफ्फार खान पर ही दांव खेला तो वहीं निर्दलीय के तौर पर बाबूराम चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में अब्दुल गफ्फार खान को 6,866 वोट मिले तो वहीं बाबूराम को 14,581 मत हासिल हुए. इसके साथ इस चुनाव में बाबूराम की जीत हुई और वह फतेहपुर का प्रतिनिधित्व करने राजस्थान विधानसभा पहुंचे.


तीसरा विधानसभा चुनाव 1957


इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से सांवर मल ने ताल ठोक तो वहीं स्वराज पार्टी की ओर से आलम अली किस्मत आजमाने उतरे. इस चुनाव में स्वराज पार्टी के आलम अली को 15,828 मत हासिल हुए तो वहीं सांवर मल को 13,943 वोट मिले. इसके साथ ही आलम अली खान की इस चुनाव में जीत हुई और वह फतेहपुर से तीसरे विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचे.


चौथा विधानसभा चुनाव 1972


1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अब्दुल गफ्फार खान को ही टिकट दिया तो वहीं NCO पार्टी से झाबरमल चुनावी ताल ठोकने उतरे. इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और झाबरमल की जीत हुई. झाबरमल को 24,305 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ, जबकि अब्दुल गफ्फार खान 21,633 मत ही हासिल कर सके.


पांचवा विधानसभा चुनाव 1977


1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने स्वराज पार्टी से जीत हासिल करने वाले आलम अली खान को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने एक बार फिर प्रत्याशी बदलते हुए सांवरमल पर दांव खेला. इस चुनाव में कांग्रेस का यह दांव उल्टा पड़ा और सांवरमल 16,615 मत ही हासिल कर सके. जबकि जनता पार्टी के आलम अली खान की 21,183 मत के साथ विजयी हुए.


छठा विधानसभा चुनाव 1980


1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आई की ओर से मोहम्मद फारूक को उम्मीदवार बनाया गया तो वहीं जनता पार्टी जेपी ने आलम अली खान को टिकट दिया. वहीं राम प्रसाद निर्दलीय चुनाव में ताल ठोकते नजर आए. इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ने त्रिलोक सिंह को चुनावी जंग में भेजा. इस चुनाव में त्रिलोक सिंह ने अन्य उम्मीदवारों को करारी शिकस्त देते हुए 18,463 मत हासिल किया जबकि निर्दलीय उम्मीदवार रामप्रसाद दूसरे, आलम अली खान तीसरे, कांग्रेस आई के मोहम्मद फारूक चौथे स्थान पर रहे.


सातवां विधानसभा चुनाव 1985


1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अश्क अली पर दांव खेला तो वहीं लोक दल की ओर से राम सिंह ने ताल ठोकते नजर आए. इस चुनाव में अश्क अली 47% से ज्यादा मत हासिल करने में कामयाब हुए और उन्हें 36,143 वोट मिले जबकि लोकदल के राम सिंह 31,343 वोट ही हासिल कर सके. इसके साथ ही कांग्रेस को लंबे अरसे बाद वापसी करवाने में कामयाब हुए.


आठवां विधानसभा चुनाव 1990


1990 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने दिलसुख राय को टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस की ओर से मोहम्मद हनीफ चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद हनीफ को 26,669 वोट मिले तो वहीं दिलसुख राय 35,767 वोट लेने में कामयाब हुए और उसके साथ ही दिलसुख राय की जीत हुई.


9वां विधानसभा चुनाव 1993


1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर मोहम्मद हनीफ को ही टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से बनवारी लाल चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में बीजेपी के बनवारी लाल को 44,857 मत हासिल हुए तो वहीं मोहम्मद हनीफ 42,020 मत ही हासिल कर सके और उसके साथ ही बनवारी लाल की इस चुनाव में जीत हुई.



दसवां विधानसभा चुनाव 1998


1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भंवरू खां को टिकट दिया जबकि भाजपा की ओर से बनवारी लाल भिंड ताल ठोकने उतरे. इस चुनाव में बीजेपी के बनवारी लाल भिंड को 31,888 वोट हासिल हुए तो वहीं भंवरू खां 63,378 वोट हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही कांग्रेस की वापसी हुई.


11वां विधानसभा चुनाव 2003


2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से भंवरू खां को उतारा तो वहीं भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए नंद किशोर मेहरिया को टिकट दिया. इस चुनाव में बीजेपी के नंदकिशोर महरिया को 20846 वोट मिले तो वहीं भंवरू खां 42,677 वोट हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही भंवरू खां की चुनाव में जीत हुई और लगातार दो बार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी भंवरू खां ने अपने नाम किया.


11वां विधानसभा चुनाव 2008


2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अटूट विश्वास भंवरू खां के साथ था तो वहीं बीजेपी ने एक बार फिर नंदकिशोर पर ही दांव खेला. इस चुनाव में बीजेपी के नंदकिशोर को 39,326 मत हासिल हुए तो वहीं भंवरू खां को 47,590 वोट मिले और उसके साथ ही भंवरू खां तीसरी बार राजस्थान विधानसभा पहुंचने में कांयाब हुए.


12वां विधानसभा चुनाव 2013


इस चुनाव में कांग्रेस ने भंवरू खां को फिर चुनावी जंग में भेजा को भाजपा ने नया चेहरा उतारते हुए मधुसूदन को टिकट दिया. इस चुनाव में नंदकिशोर निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उत. चुनाव में कांग्रेस के भंवरू खां को 49,958 वोट मिले तो वहीं बीजेपी के मधुसूदन 30,495 वोट ही हासिल कर सके. जबकि निर्दलीय ही ताल ठोक रहे नंद किशोर 53,884 वोट हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही उनकी जीत हुई.


14वां विधानसभा चुनाव 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भंवरू खां के निधन हो जाने से उनके भाई हाकम अली खान को टिकट दिया. बीजेपी ने भी अपना प्रत्याशी बदलते हुए सुनीता कुमारी को चुनावी मैदान में उतारा. वहीं बसपा की ओर से जरीन खान भी ताल ठोक की नजर आई. जबकि कम्युनिस्ट पार्टी के अब्दुल हुसैन भी चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के हाकम अली खान चुनाव जीतने में कामयाब हुए और उन्हें 80,354 वोट हासिल हुए जबकि 79494 वोटों के साथ सुनीता कुमारी दूसरे स्थान पर रहीं.


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