Kumbhalgarh Vidhansabha Seat: राजस्थान के राजसमंद जिले में आने वाली कुम्भलगढ़ सीट भी विधानसभा चुनाव में एक अहम भूमिका रखती है. महाराणा प्रताप की जन्मस्थली कुम्भलगढ़ में राजपूत समाज का दबदबा है. इसलिए यहां से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के हीरालाल देवपुरा ने मुख्यमंत्री का कार्यकाल कुछ दिनों के लिए संभाला था.


खासियत


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बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने देवपुरा को 1980 से 2003 तक कुम्भलगढ़ का चुनाव लड़वाया. तो वहीं इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 2008 से 2018 तक गणेश सिंह परमार को टिकट दिया. जिसमें परमार 2008 का चुनाव जीते, लेकिन 2013 और 2018 के चुनाव में परमार को लगातार इस सीट से हार का सामना करना पड़ा. अंदाजा लगाया जा सकता है कि परमार कुम्भलगढ़ की जनता की अपेक्षाओं पर देवपुरा की तरह खरा उतरने में सफल नहीं हो पाए. यही कारण रहा कि भले ही कांग्रेस पार्टी ने उन पर दो बार विश्वास जताया लेकिन यहां की जनता ने उन्हें दोनों ही बार रिजेक्ट कर दिया. ऐसे में इस बात कांग्रेस पार्टी में किसी बड़े राजपूत चेहरे को टिकिट देने की मांग जोर पड़कने लगी है. जो इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दर्ज करा सके और कुम्भलगढ़ में फिर से पंजे को मजबूती प्रदान कर सके.


जातीय समीकरण 


वहीं इस सीट के वोटरों की संख्या के बारे में बात की जाए तो वह संख्या लगभग सवा दो लाख बताई जा रही है. जिसमें अधिकतर वोटर राजपूत जाती के हैं. जातीय समीकरण की बात की जाए तो भाजपा और कांग्रेस 2008 से 2018 तक राजपूत कार्ड ही खेल रही है. राजपूत वोटरों की संख्या को देखते हुए दोनों ही पार्टी कुम्भलगढ़ विधानसभा सीट से राजपूत प्रत्याशी को ही मैदान में उतारती है. इतना ही नहीं अब इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी माना जाने लगा है. वो इसलिए की 2013 और 2018 का चुनाव बीजेपी लगातार जीत चुकी है. लेकिन अगर इस बात कांग्रेस पार्टी अपना प्रत्याशी बदल कर राजपूत समाज के मजबूत प्रत्याशी को इस बार कुम्भलगढ़ के चुनावी रण में उतारती है तो इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी.



जानकारी के अनुसार भाजपा और कांग्रेस यहां से अब जीताउ उम्मीदवार की तालश में जुटी है. मिली जानकारी के अनुसार कुम्भलगढ़ विधानसभा में लगभग 55 हजार वोटर खरवड़ चताना राजपूत हैं, जिन्हें कृषक राजपूत के नाम से भी जाना जाता हैं. अन्य सामान्य राजपूत वोटरों की संख्या लगभग 15 से 20 हजार बताई जा रही है. इसी तरह एसटी वोटरों की संख्या 20 हजार बताई जा रही है. एससी वोटरों की संख्या लगभग 10 हजार बताई जा रही है. गुर्जर वोटरों की संख्या लगभग 28 हजार बताई जा रही है. तो वहीं ब्राह्मण वोटरों की संख्या लगभग 26 हजार बताई जा रही है. ओबीसी के लगभग 60 हजार वोटर बताए जा रहे हैं.


 


2023 का विधानसभा चुनाव


बता दें कि कुम्भलगढ़ विधानसभा सीट जो कि पूर्व में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था इसे वापस पाने के लिए कांग्रेस पार्टी फिर से राजपूत कार्ड खेलने को तैयार है. इस सीट से कांग्रेस से प्रबल दावेदारी भीम सिंह चुंडावत, दिलीप सिंह राव, वैभव उपाध्याय, केलाश मेवाड़ा, योगेंद्र सिंह परमार, सूरत सिंह दसाड़ा ने जताई है. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी राजपूत समाज के बड़े चेहरे को चुनावी मैदान में उतरती है तो राजपूत समाज के 20 हजार वोटर्स में कांग्रेस प्रत्याशी सेंधमारी कर सकता है. जो बीते दो चुनावों के भाजपा के पाले में खड़े नजर आए. तो वहीं भाजपा से सुरेंद्र सिंह राठौड़ जो कि वर्तमान ​में विधायक हैं. इसके बाद नीरज सिंह राणावत और अरविंद कुंवर ने भी भाजपा से टिकट की जुगाड़ में हैं. आपको बता दें कि राजसमंद संसदीय क्षेत्र सीट भी भाजपा के पास हैं. अभी राजसमंद से सांसद दीया कुमारी हैं. जिन्होंने कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर को एक बड़े मार्जन से हराया था.


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