Rajasthan Election: राजस्थान में 35 साल से नहीं जीती नेशनल पार्टी सीपीआई,हर बात उतारती है प्रत्याशी
राजस्थान विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए अब सिर्फ 14 दिन बाकी है.राज्य की 200 सीटों पर 1875 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। पार्टियों की स्थिति देखे तो इस चुनाव में 80 पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे है. जिसमें सबसे ज्यादा भाजपा के है.
Rajasthan Election: राजस्थान विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए अब सिर्फ 14 दिन बाकी है.राज्य की 200 सीटों पर 1875 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। पार्टियों की स्थिति देखे तो इस चुनाव में 80 पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे है. जिसमें सबसे ज्यादा भाजपा के है. इन 80 पार्टियों में एक नेशनल लेवल की पार्टी ऐसी भी है. जो 1957 से लगातार चुनाव में अपने उम्मीदवार तो उतार रही है. लेकिन साल 1980 के बाद उस पार्टी का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता है.
सबसे ज्यादा बीजेपी के प्रत्याशी
राजस्थान निर्वाचन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस चुनाव में राजस्थान में भाजपा, कांग्रेस, बसपा समेत तमाम नेशनल और क्षेत्रीय पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे है. इनमें सबसे ज्यादा 200 उम्मीदवार भाजपा के है. जबकि कांग्रेस के 199 उम्मीदवार है. कांग्रेस ने भरतपुर सीट अपनी सहयोग पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के लिए खाली छोड़ी है. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के 185 और आम आदमी पार्टी के 86 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है.
35 साल से नहीं जीता कोई प्रत्याशी
राजस्थान में 1952 से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ऐसी पार्टी है. जो 1957 से लगातार चुनाव लड़ती आ रही है. इस बार भी पार्टी ने प्रदेश में 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन पिछले 35 साल से पार्टी का कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता है. 1980 के बाद से पार्टी का एक भी प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में जीतकर नहीं पहुंचा है. 1980 में पार्टी ने 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. तब पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी. 1962 के चुनाव में पार्टी के सबसे ज्यादा 5 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
1990 में सबसे ज्यादा प्रत्याशी लड़े थे चुनाव
विधानसभा चुनावों की अब तक की स्थिति देखें तो 1952 से अब तक सबसे ज्यादा उम्मीदवार साल 1990 में चुनाव लड़े थे.उस समय 3088 उम्मीदवार मैदान में थे. जिसमें से 2498 प्रत्याशी ऐसे थे. जो किसी पार्टी से नहीं, निर्दलीय चुनाव लड़े थे. जबकि साल 1957 में सबसे कम उम्मीदवार 653 चुनाव लड़े थे.
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