Rajasthan Politics, Rajasthan Election: राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) की नई टीम तैयार हो गई है. अब इसी टीम के साथ कांग्रेस पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी. लेकिन कार्यकारिणी की घोषणा के बाद अब आकलन इस बात का हो रहा है कि आखिर इस लिस्ट में कौन भारी रहा. नेता यह परखने में जुटे हैं कि पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) अपनी पसन्द के कितने नाम शामिल करवा पाए और सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की कितनी चली. 


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कांग्रेस में महिला नेताओं को क्या जिम्मेदारी मिली


चर्चा इस बात की भी हो रही है कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) की सिफारिश पर कितने नामों को शामिल किया गया. परख तो इस बात की भी हो रही है कि युवा और अनुभव का तालमेल क्या रहा? और महिला सशक्तिकरण की बात आगे बढ़ाने के लिए पार्टी ने पीसीसी में और जिलों में कितनी महिला नेत्रियों को जगह दी है.  सबसे बड़ा सवाल सभी कैम्पों की भागीदारी को लेकर है. 


Rajasthan Congress ने अपनी नई टीम में सभी खेमों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. कांग्रेस पार्टी सबको साधने में तो जुटी है, लेकिन नेताओं के बायनों में अजीब सा विरोधाभास दिखता है. कुछ नेता कहते हैं कि पार्ट में गुटबाजी है ही नहीं. और थोड़ी ही देर बाद वे नेता कहते हैं कि सभी कैम्प से प्रतिनिधियों को टीम में शामिल किया गया है. जयपुर (Jaipur) आते ही मीडिया से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव सुखजिन्दर रंधावा (Sukhjinder Randhawa) ने कहा कि सभी से बात करके, आमराय बनाकर नियुक्तियां की गई है.  रंधावा ने तो यहां तक कह दिया कि सभी संतुष्ट हैं और जिस तरह ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में कोई नाराज़गी नहीं आई वैसे ही यहां भी है. 


सचिन पायलट की झोली में क्या आया


भले रंधावा सबके संतुष्ट होने की बात करते हैं, लेकिन कार्यकर्ता का अपना अलग चश्मा होता है और इसी चश्मे से वह अपना नज़रिया भी तय करता है.  पार्टी में चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि किसे क्या मिला और किससे क्या छीना गया? सबसे ज्यादा चर्चा तो इस बात पर है आखिर सचिन पायलट की झोली में कुछ आया या उनके हाथ खाली ही रह गए? सवाल इस बात को लेकर भी है कि अल्पसंख्यक और महिलाओं को कितनी जगह मिली? और सवाल यह भी कि क्या चुनाव कराने के लिए इस जम्बो टीम को पीसीसी के नेता मैनेज कर पाएंगे.


राजस्थान कांग्रेस में क्या हुआ उलटफेर


टीम में हटाने और शामिल करने वाले चेहरों की बात करें तो चर्चा इस बात को लेकर है कि जिन्हें ड्रॉप किया उसका क्या कारण रहा? क्या उदयपुर चिंतन शिविर के बाद लिये गए फैसले के कारण कुछ नेताओं को कूलिंग ऑफ पीरियड के लिए भेजा गया.


PCC चीफ डोटासरा की नई टीम से हटे और बढ़े ये नेता


VP पद से महेंद्र जीत मालवीयह और रिमोहन शर्मा हटे. रामलाल जाट (Ramlal Jat) ,गोविंद राम मेघवाल  (Govind Ram Meghwal) और राजेंद्र चौधरी हटे. इनमें चौधरी को हटाने के कारण पांच साल से एक पद रहना बताया जा रहा है. वहीं अन्य नेताओं के हटाए गए एक पद एक व्यक्ति सिद्धांत को कारण बताया गया है. इसी तरह महासचिव पद से वेद प्रकाश सोलंकी (Ved Prakash Solanki),मांगी लाल गरासिया (Mangi Lal Garasia) लाखन सिंह मीना ड्रॉप हुए हैं. बता दें कि पहले सात उपाध्यक्ष थे उनमें से दो यथावत रहे.


पहले महासचिव आठ थे  इनमे से तीन को ड्रॉप कर दिया और दो को उपाध्यक्ष बना दिया है. उपाध्यक्ष पद पर 21 में से 17 नए चेहरे लिए गए हैं और महासचिव पद पर 48 में से 31 नए चेहरे लिए गए हैं. 26 सचिवों में 14 का प्रमोशन कर दिया गया, शेष 12 में से एक को महासचिव संगठन बना दिया गया. 11  में चार यथावत और 7 को ड्रॉप कर दिया गया है. शोभा सोलंकी, गजेंद्र सांखला, ललित यादव, महेंद खेड़ी, निंबाराम गरासिया, रवि पटेल  और राजेंद्र यादव को ड्रॉप कर दिया गया है. जिला अध्यक्ष में से प्रतापगढ़ में भानु प्रताप रिपीट को किया गया है.


पूर्व उप मुख्यमन्त्री और पीसीसी चीफ रहे Sachin Pilot कैम्प को क्या मिला और क्या नहीं, इस पर भी कार्यकर्ताओं में चर्चा दिखी. दरअसल नेताओं का मानना है कि पार्टी ने पायलट की अगर कोई बात सुनी है तो उनके समर्थकों को भी पीसीसी की नई टीम में जगह दी होगी. अब इस संख्या को लेकर अलग-अलग आकलन हो रहे हैं. 


राजस्थान कांग्रेस कमेटी विस्तार की दूसरी तस्वीर


217 पीसीसी पदाधिकारियो में से पायलट खेमे के 22 नेता पदाधिकारी बने. गजराज खटाना और दर्शन गुर्जर को उपाध्यक्ष बनाया गया है. राकेश पारीक,महेंद्र सिंह गुर्जर, प्रशांत शर्मा,इंद्राज गुर्जर राजेंद्र शर्मा, मुकेश भाकर,राजेश चौधरी,पंडित सुरेश मिश्रा,संजय जाटव और सोना देवी बावरी प्रदेश महासचिव बनाए गए हैं.


इसी तरह सत्येंद्र मीणा,कविता गुर्जर, विभा माथुर,अनिल चोपड़ा,हिमांशु कटारा, विक्रम वाल्मीकि,सर्लेश सिंह राणा,सुरेंद्र लांबा और आजाद सिंह राठौड़ प्रदेश सचिव बनाए गए हैं. जिलाध्यक्षो में केवल टोंक जिलाध्यक्ष हरिप्रसाद बैरवा की नियुक्ति हुई है. अजमेर जिला और शहर के पद पर भी पायलट खेमे के पदाधिकारी नियुक्त हो सकते है. अंतिम समय तक दो जिलाध्यक्षों पर सहमति नहीं बन पाई. 


सचिन पायलट के नज़दीकी नेताओं में से 22 चेहरे जोड़े हैं तो कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो पीसीसी से आउट हुए हैं. इनमें से अधिकांश उदयपुर फॉर्मूले के चलते बाहर हुए हैं. माना जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा का पूरी लिस्ट में दबदबा रहा है.


यह भी जानें 


  • 217 नाम की जंबो कार्यकारिणी का किया गया है विस्तार

  • 18 विधायकों को बनाया पीसीसी पदाधिकारी

  • 55 नेता SC और ST वर्ग से हुए शामिल

  • 13 मुस्लिम नेताओं को मिली है इस कार्यकारिणी में जगह

  • नियुक्तियों में सीएम खेमे के का रहा पूर्ण दबदबा

  • पायलट खेमे से 217 में से 22 नेता बन पाए

  • पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा अपने लोगो को शामिल करने में रहे कामयाब

  • भारत जोड़ो यात्रा में मेहनत करने वालों को भी मिला तोहफा

  • करीब 56 नेता शामिल हुए भारत जोड़ो यात्रा के चलते

  • कई दिग्गज नेता नही बना पाए अपनी जगह

  • महेंद्रजीत सिंह मालवीय, हरिमोहन शर्मा, रामलाल जाट, गोविंद राम मेघवाल और राजेंद्र चौधरी हटाए गए कार्यकारणी से

  • पायलट खेमे के महेन्द्रसिंह खेड़ी प्रदेश सचिव की सूची से बाहर

  • पायलट के चुनावी जिले टोंक के संगठन प्रभारी थे महेन्द्रसिंह


उधर इस पूरी कवायद से पीसीसी चीफ में बदलाव को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है. दरअसल माना जा रहा है कि अगर पीसीसी चीफ बदलना होता तो नई टीम नहीं बनाई जाती. क्योंकि हर अध्यक्ष अपने हिसाब से टीम तैयार करवाकर एआईसीसी की मुहर लगवाता है.  अब कार्यकारिणी तैयार होने के बाद माना जा रहा है कि कार्यकारिणी का मुखिया नहीं बदला जाएगा. खुद पीसीसी चीफ डोटासरा ने भी इसके संकेत देते हुए कहा कि वे चुनाव कराने के लिए अपनी टीम के साथ पूरे तैयार हैं. 


किस कैम्प से कितने चेहरों को पीसीसी टीम में जगह मिली यह चर्चा अपनी जगह है, लेकिन इन सबके बीच फिलरहाल गोविन्द डोटासरा टीम का ऐलान होने के बाद कांग्रेस में कोई खेमेबाजी नहीं होने की बात कर रहे हैं.  वे कहते हैं कि पार्टी में सिर्फ राहुल गांधी और खरगे के कैम्प में ही सब लोग हैं. 


पीसीसी की टीम में नेता पुत्र-पुत्रियों के साथ उनके परिवारजन को शामिल किये जाने को लेकर भी चर्चा हो रही है. हालांकि इस मामले में लोगों की राय अलग-अलग है. कुछ लोगों को कहना है कि नेताओं के बच्चों को केवल इस आधार पर दूर नहीं रखा जा सकता कि उनके परिवार के सदस्य पहले से राजनीति में हैं. लेकिन ऐसी चर्चा करने वालों की भी कमी नहीं है जो यह कहते हैं कि पीसीसी में कोई नियुक्ति या पद चाहिए तो आपको किसी न किसी कैम्प से जुड़ा होना चाहिए.  लोगों का मानना है कि कार्यकर्ता और पार्टी के प्रति समर्पित रहने वालों से केवल समर्पण और बिना पद काम की ही अपेक्षा की जाती है. 


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