Rajasthan News: कहते हैं राजनीति में दावे करना जितना आसान है, समय पर उन्हें पूरा करना उतना ही मुश्किल है. कुछ ऐसा ही कांग्रेस और भाजपा में टिकट वितरण में देखा जा सकता है. भले ही दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशियों की दो-दो सूचियां जारी कर दी, लेकिन दोनों ही दलों में बाकी टिकट किस भंवरजाल में अटक गए ? तीसरी सूची जारी करने से पहले दोनों ही दलों के नेताओं को इतना मंथन क्यों करना पड़ रहा है ? आखिर बचे हुए नाम घोषित करने को लेकर दोनों ही दलों में कोई घबराहट या फिर फंसा है कोई पेंच ?


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राजस्थान में सत्ता के महासंग्राम में कांग्रेस और बीजेपी ने अपने अपने तरकस खोल दिए हैं, लेकिन दोनों ही दल अभी अपने पूरे तीर नहीं निकाल पा रहे हैं. विधानसभा की 200 सीटों के लिए नाम घोषित किए जाने हैं. बीजेपी ने दो सूची में 124 प्रत्याशी घोषित कर दिए, लेकिन 76 बचे हैं, वहीं कांग्रेस ने दो सूची में 76 प्रत्याशी घोषित किए हैं और 124 की घोषणा करना बाकी है. इसके अलावा सीधा मुकाबला देखा जाए तो अब तक केवल 43 सीटों ही पर दोनों दलों के प्रत्याशी आमने सामने घोषित हो पाए हैं. दोनों ही दलों में इस ''76'' के आकंड़े को लेकर इतनी सकुचाट क्यों है, इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है .


बात कांग्रेस की करें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य नेताओं ने कांग्रेस की सूची दो महीने पहले घोषित करने का दावा किया था. इसके बाद वक्त गुजरा तो अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक पूरे 200 नामों की घोषणा की गई, लेकिन हालात यह है कि अब तक 76 ही नाम तय हो पाए हैं और उनमें भी नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सहित अन्य कई दिग्गज नेताओं के सामने या फिर पार्टी की डी कैटेगिरी की सीटों सहित 124 सीटों पर अब तक नाम घोषित नहीं कर पाए, जबकि नामांकन भरने में महज छह दिन बचे हैं.


दूसरी ओर प्रत्याशियों की सूची जारी करने में बीजेपी ने बढ़त हासिल करते हुए जरूर दो सूचियों में 124 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी, लेकिन बाकी 76 को जारी करने में इतनी देर क्यों लगा रहे हैं. बीजेपी ने हालांकि डी केटेगिरी अर्थात कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर पहली सूची में ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, लेकिन कांग्रेस के दिग्गजों के सामने अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही है.


खास बात यह है कि दोनों ही पार्टियां लम्बे से टिकटों पर मंथन करती आ रही हैं. कांग्रेस ने 100 से ज्यादा सीटों पर सहमति की बात कही, लेकिन जारी 76 ही कर पाई, वहीं बीजेपी भी सभी दो सौ से ज्यादा सीटों पर सहमति की बात कहती आ रही है, लेकिन अब भी 76 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करना बाकी है.


दोनों ही दलों के नामांकन की तारीख नजदीक आने के बाद भी टिकट घोषित नहीं करने के सियासी हलकों में कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्या दोनों ही दल बगावत की आशंका को देखते हुए बाकी टिकट घोषित करने में डर रहे हैं. या फिर दिग्गजों के सामने उचित प्रत्याशी उतारने में मशक्कत कर रहे हैं. खैर मामला कुछ भी हो, लेकिन यह तो साफ है किराजनीति में दावों और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर होता है.


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