Rajasthan Election: राजस्थान की वो सीट, जो BJP के लिए ध्रुवीकरण की प्रयोगशाला तो कांग्रेस से पति-पत्नी दोनों मांग रहे टिकट
Ramgarh Alwar Vidhansabha Seat: राजस्थान के अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट जहां भाजपा की प्रयोगशाला रही है, तो वहीं कांग्रेस के लिए 35 साल तक अजय रहने वाली यह सीट पिछले 35 सालों से चुनौती बनी हुई है.
Ramgarh Alwar Vidhansabha Seat: राजस्थान के अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट जहां भाजपा की प्रयोगशाला रही है, तो वहीं कांग्रेस के लिए 35 साल तक अजय रहने वाली यह सीट पिछले 35 सालों से चुनौती बनी हुई है. इस सीट पर अब तक हुए 15 विधानसभा चुनाव में 6 बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. इस सीट से मौजूदा वक्त में कांग्रेस की साफिया जुबेर विधायक है.
खासियत
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र 1951 से लेकर 1985 तक एक तरफा कांग्रेस के पास रही तो वहीं अब पिछले 35 सालों से यह सीट कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस के खाते में जाती रही है. खास बात यह है कि इस सीट से पति-पत्नी जुबेर खान और सफिया खान विधायक रह चुके हैं. इस सीट से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड कांग्रेस के जुबेर खान और भाजपा के ज्ञान देव आहूजा के नाम है. दोनों ही नेताओं ने इस सीट पर तीन-तीन बार जीत हासिल की. 1990 में जुबेर खान ने पहली बार जीत हासिल की. इसके बाद वह 1993 और 2003 में भी विधायक चुने गए जबकि ज्ञान देव आहूजा इस सीट से 1998 में पहली बार जीत हासिल करने में कामयाब रहे. इसके बाद 2008 से 2018 तक लगातार 10 साल ज्ञान देव आहूजा यहां से विधायक रहे.
जातीय समीकरण
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए एक प्रयोगशाला कही जाती है. जहां भाजपा एक कट्टर हिंदुत्व चेहरे को चुनावी मैदान में आगे कर कर उतरती है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से पिछले 35 सालों से मुस्लिम उम्मीदवार उतर रहे हैं. इस चुनाव इस सीट पर लगभग 4.50 लाख मतदाता है तो वहीं मेव मुसलमान की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद यहां दलित मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है. साथ ही पुरुषार्थी समाज और ओड राजपूत, जाट, ब्राह्मण, वैश्य, प्रजापत और गुर्जर मतदाताओं का भी प्रभाव है.
2023 का विधानसभा चुनाव
2023 के विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस से पति-पत्नी यानी जुबेर खान और साफिया खान टिकट की मांग कर रहे हैं तो वहीं उन्हीं के समर्थक माने जाने वाले नसरू और जाकर हुसैन भी अपनी अपनी टिकट दावेदारी जता रहे हैं. हालांकि इस बार मेवात विकास बोर्ड के अध्यक्ष जुबेर खान को टिकट मिलने की संभावना ज्यादा दिखाई दे रही है. वहीं भाजपा से एक बार फिर ज्ञान देव आहूजा टिकट मांग रहे हैं. इसी सीट से ज्ञान देव आहूजा के भतीजे जय आहूजा ने भी टिकट दावेदारी जताई है. साथ ही सुखवंत सिंह, निर्मल सुर, सहदेव सिंह और देवेंद्र दत्त समेत कुल 55 दावेदार भाजपा से सामने आ रहे हैं. रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में इस बार फिर से ध्रुवीकरण की सियासत देखने को मिल सकती है. इसका एक बड़ा कारण हाल ही में हुए नूहं दंगे भी हैं. जो यहां से महज 35 किलोमीटर दूर है. इस सीट पर पानी और अवैध खनन जैसे भी मुद्दे हावी है.
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
पहला विधानसभा चुनाव 1951
1951 के पहले विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ने दुर्लभ सिंह को चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से फूलचंद उम्मीदवार बने. हालांकि चुनावी नतीजे आए तो कांग्रेस के दुर्लभ सिंह 18,434 मतों के साथ जितने में कामयाब हुए, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी के फूलचंद महज 4,371 मत ही हासिल कर सके.
दूसरा विधानसभा चुनाव 1957
1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से गंगा देवी को उम्मीदवार बनाया गया तो वहीं कम्युनिस्ट पार्टी से हारूमाल उम्मीदवार बने. इस चुनाव में फिर से कांग्रेस जीते में कामयाब हुई और गंगा देवी विधायक बने जबकि कम्युनिस्ट पार्टी को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा.
तीसरा विधानसभा चुनाव 1962
1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदला और उमा माथुर को टिकट दिया जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार फिर हरुमल पर ही दांव खेला. यह चुनाव बेहद रोमांचक और करीबी रहा. इस चुनाव में कांग्रेस की उमा माथुर 9,937 मत हासिल करने में कामयाब हुई तो वहीं हरुमल ने कड़ी चुनौती देते हुए 9,386 मत हासिल किया और उसके साथ ही उमा माथुर की चुनाव में जीत हुई.
चौथा विधानसभा चुनाव 1967
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदला और शोभाराम को टिकट दिया तो वहीं स्वराज पार्टी से बृज बिहारी उम्मीदवार बने. इस चुनाव में कांग्रेस के शोभाराम 13,665 मतों से विजय हुए तो वहीं स्वराज पार्टी के बृज बिहारी 8,063 मत ही हासिल कर सके.
पांचवा विधानसभा चुनाव 1972
1972 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मुकाबला कांग्रेस के शोभाराम बनाम स्वराज पार्टी के बृज बिहारी के बीच रहा. इस चुनाव में कांग्रेस के शोभाराम 27,923 मतों के साथ विजय हुए तो वहीं स्वराज पार्टी के बृज बिहारी सिर्फ 13,816 मतों को हासिल कर सके.
छठा विधानसभा चुनाव 1977
1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जय किशन को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी की ओर से हरिशंकर गोयल उम्मीदवार बने. इस चुनाव में कांग्रेस के जयकिशन को 11,898 मत हासिल हुई तो वहीं जनता पार्टी के हरिशंकर गोयल को 9,553 मतदाताओं का समर्थन मिला. हालांकि यह समर्थन उन्हें जीत नहीं दिला सका और इस चुनाव में फिर से कांग्रेस के जयकिशन की जीत हुई.
सातवां विधानसभा चुनाव 1980
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से जय किशन को ही उम्मीदवार बनाया तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से रघुवर दयाल गोयल को टिकट मिला. इस चुनाव में कांग्रेस के जय किशन एक बार फिर जीत हासिल करने में कामयाब हुए और उन्हें 17,532 मत हासिल हुए जबकि जनता पार्टी के भाजपा के रघुवीर गोयल 16,869 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
आठवां विधानसभा चुनाव 1985
1985 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार और रघुवर दयाल गोयल पर ही दांव खेला तो वहीं इस चुनाव में कांग्रेस ने सोहनलाल अरोड़ा को टिकट दिया. वहीं इंडियन कांग्रेस जगजीवन पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरी और इस पार्टी के उम्मीदवार बने बनिया. इस चुनाव में कांग्रेस की फुट का फायदा सीधे तौर पर भाजपा को मिला और रघुवर दयाल गोयल की जीत हुई और उन्हें 18,949 मत मिले जबकि इंडियन कांग्रेस जगजीवन के उम्मीदवार बनिया दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस उम्मीदवार सोहनलाल अरोड़ा तीसरे स्थान पर आए.
9वां विधानसभा चुनाव 1990
1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जुबेर खान को टिकट दिया तो वहीं बीजेपी का भरोसा एक बार फिर रघुवर दयाल गोयल पर कायम रहा. इस चुनाव में कांग्रेस का दांव सफल रहा और जुबेर खान 32,208 मतों से जीतने में कामयाब रहे, जबकि बीजेपी के रघुवर दयाल 17,647 मत की हासिल कर सके.
दसवां विधानसभा चुनाव 1993
1993 के विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प रहे. इस चुनाव में कांग्रेस ने जहां जुबेर खान को ही टिकट दिया तो वहीं भाजपा ने अपने फायर ब्रांड हिंदुत्व नेता ज्ञान देव आहूजा को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में मुकाबला तो बेहद रोचक रहा, लेकिन कांग्रेस के जुबेर खान 33,510 मतों से विजय हुए. जबकि ज्ञान देव आहूजा को 25,435 मत ही हासिल हो सके.
11वां विधानसभा चुनाव 1998
1998 के विधानसभा चुनाव में एक बार मुकाबला फिर ज्ञान देव आहूजा बनाम जुबेर खान था. इस चुनाव में जमकर ध्रुवीकरण की कोशिश की गई और भाजपा के ज्ञान देव आहूजा आखिरकार जीतने में कामयाब रहे. उन्हें 42,966 मतदाताओं का मत हासिल हुआ तो वहीं जुबेर खान को 38,742 मत ही हासिल हो सके.
12वां विधानसभा चुनाव 2003
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर जुबेर खान को ही टिकट दिया तो वहीं बीजेपी की ओर से ज्ञान देव आहूजा चुनावी मैदान में उतरे. इस बेहद दिलचस्प मुकाबले में जुबेर खान कांग्रेस को अपना गढ़ वापस दिलवाने में कामयाब रहे और उन्हें 39,563 मत हासिल हुए जबकि बीजेपी के जुबेर खान भी 38780 मत पानी में कामयाब रहे तेरवा विधानसभा चुनाव 2008 2008 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला एक बात पर ज्ञान देव आहूजा बना जुबेर खान रहा इस चुनाव में ज्ञान देव आहूजा ने जुबेर खान को चुनावी पटकनी दी और 614 93 मतों से विजई हुए जबकि जुबेर खान को 45,411 मतदाताओं का ही समर्थन मिला.
14वां विधानसभा चुनाव 2013
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी मोदी लहर पर सवार थी और रामगढ़ से फिर से भाजपा के फायर प्लांट हिंदुत्व चेहरा ज्ञान देव आहूजा चुनावी मैदान में उतरे जबकि कांग्रेस ने फिर से जुबेर खान को ही टिकट दिया. इस चुनाव में ज्ञान देव आहूजा जुबेर खान को सियासी पटकनी देने में कामयाब हुए और उन्हें 73,842 मत मिले तो वहीं जुबेर खान भी 69,195 मत हासिल करने में कामयाब रहे. इसी के साथ ही आहूजा ने लगातार दो बार जीत हासिल की तो वहीं जुबेर खान को लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा.
15वां विधानसभा चुनाव 2018
2018 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर बदल गई. जहां बीजेपी ने ज्ञान देव आहूजा का टिकट काटकर सुखवंत सिंह को टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस ने भी लगातार दो बार हार का सामना कर चुके जुबेर खान का टिकट काट कर उनकी पत्नी साफिया जुबेर को अपना उम्मीदवार बनाया. वहीं बसपा से जगत सिंह टिकट लेकर चुनावी मैदान उतरे और चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया. इस चुनाव में कांग्रेस की रणनीति सफल हुई और कांग्रेस 83,311 मत हासिल हुए तो वहीं सुखवंत सिंह 71,083 हासिल कर सके. उसके साथ ही कांग्रेस की चुनाव में वापसी हुई. इस चुनाव में जगत सिंह को 24,856 मत हासिल हुए.
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