Ghatol: भारत में आज आजादी का अमृत महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. देश को आजाद हुए 75 साल हो गए फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जो वादे सरकार करती है वह जमीनी हकीकत में कुछ और ही होती है. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के चंदूजी का गढ़ा गांव की जहां पर स्थित राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय है, जिसका भवन पूरी तरह से जर्जर है. 


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इस विद्यालय में बालिका और शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर यहां पर आ रहे हैं. यह भवन कभी भी गिर सकता है. इस स्कूल भवन का निर्माण 1985 में हुआ था और इस स्कूल में 5 कमरे हैं लेकिन आज इस स्कूल के तीन कमरे पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और इन कमरों में बच्चों को नहीं बिठाया जा रहा है. इसके अलावा जो 2 कमरे हैं उनकी दीवारों पर भी दरारे आ चुकी है और सभी बच्चों को पहली से आठवीं तक की क्लास इन कमरों में ही लगाई जा रही है. इस स्कूल में 54 बच्चों का रोल है और 6 शिक्षक कार्यरत है. 


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इस स्कूल परिसर की भी हालत खस्ताहाल है. कीचड़ और गंदगी से पूरा स्कूल परिसर अटा हुआ है और पूरे भवन में दरारे आ रही है. बरसात के दिनों में यहां पर जहरीले जानवरों का भी डर है. साथ ही यह भवन कब गिर जाए, इसका भी डर लगा हुआ है. खस्ताहाल भवन के कारण कई छात्राएं तो स्कूल में पढ़ने भी नहीं आ रही है. बरसात के दिनों में इस स्कूल की मरम्मत के लिए कई बार शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया लेकिन अब तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.


शिक्षक रमेश कटारा ने बताया कि इस स्कूल का भवन जर्जर है और बरसात के दिनों में यहां पर काफी परेशानी होती है. स्कूल भवन की दीवारों पर दरार आ चुकी है. इस बारे में विभाग को अवगत करा दिया गया है लेकिन अब तक ध्यान नहीं दिया गया है. स्कूल प्रधानाचार्य मुकेश निनामा ने बताया कि इस स्कूल का निर्माण 1985 में हुआ था. स्कूल में 5 कमरे हैं, जिसमें से तीन कमरे पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुके हैं, जिन्हें हमने बंद कर दिया है. वहीं दो कमरों में स्कूल का संचालन किया जा रहा है. कई बार विभाग को अवगत करा दिया गया लेकिल अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है.


Reporter: Ajay Ojha


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