Baran News: राजस्थान में बारां के छीपाबड़ौद क्षेत्र के हरनावदाशाहजी कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का कद भले ही बढ़ गया, लेकिन भवन समेत अन्य सुविधाएं आज भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर की ही बनी होने से मरीजों को चिकित्सा सेवाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है. ब्लॉक में सर्वाधिक प्रसव कराने वाले इस चिकित्सालय में ना तो महिला रोग विशेषज्ञ हैं और ना ही शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. ऐसे में इमरजेंसी की स्थिति में कई बार प्रसूता एवं नवजात की जान पर बन आती है, जिसके चलते रेफर करना पड़ता है. जो कि मरीज व तीमारदारों के लिए परेशानी का सबब बना है.


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हरनावदाशाहजी कस्बे का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करीब डेढ़ दशक पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत हुआ. चिकित्सालय आज भवन के विस्तार की बांट जोह रहा है. मध्यप्रदेश तक के मरीज यहां आते हैं. जिले के अंतिम छोर पर बसा होने एवं झालावाड जिला व एमपी की सीमा से सटा होने के कारण दूसरे जिले व राज्य से मरीज इलाज के साथ-साथ प्रसव कराने तक आते हैं. चिकित्सालय प्रभारी डॉ रविंद्र सिंह ने बताया कि यहां हर महीने होने वाले प्रसव की औसत संख्या एक सौ है. जो कि ब्लॉक मुख्यालय छीपाबड़ौद से दुगुनी है, लेकिन प्रसाविका केवल दो ही है, जिनमें भी एक के अवकाश या अन्य कार्य पर चले जाने से लेबर रुम एक एएनएम के भरोसे काम चलता है. जिसमें काफी परेशानी आती है.


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यहां आउटडोर में रोजाना मरीजों की औसत संख्या तीन सौ रहती है, जो कि मौसमी बीमारियों के दौर में साढ़े चार सौ तक पंहुच जाती है. लेकिन चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अखरती है. साथ ही यहां पर फार्मासिस्ट नही होने से दवा वितरण कार्य कम्पाउंडर के भरोसे चल रहा है. नर्सिंग स्टाफ के साथ यहां प्रसाविका एवं लेब टेक्नीशियन के रिक्त पदों पर नव नियुक्ति की दरकार है. चिकित्सालय में भवन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के समय का बना हुआ है. वार्ड नया बनने के बाद यहां 30 बेड जरूर उपलब्ध हैं लेकिन अन्य सुविधाओं के लिए भवन छोटा पड़ने लगा है. 


फिलहाल पुराने जर्जर हो चुके भवन को मरम्मत कार्य एवं रंगरोगन करके उपयोगी बनाया है. लेकिन भवन काफी छोटा पड़ रहा है. चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेज भी रखे हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल यहां एक्स-रे एवं अन्य खून, पेशाब जैसी जांच सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन आगे की जांच सुविधाओं के लिए मरीज को रेफर करना करना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि चिकित्सालय में वर्तमान में पांच चिकित्सक नियुक्त हैं लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की दरकार है. इसके साथ ही बड़ा अस्पताल होने से ईसीजी जांच सुविधा के साथ अन्य सुविधाओं का विस्तार हो तो सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ लोगों को मिल सके.