75 साल से बारां के छीपाबड़ौद में `विकास` लापता! करोड़ों खर्च लेकिन सड़क तक नहीं बन पाई
Baran News : छीपाबड़ौद क्षेत्र के कई गावों मूलभूत सुविधाओं की तरसे, गांवों तक नही बन पाई पक्की सड़क, बरसात के दिनों बन जाते है टापू, गांव में बेटीयों की शादी करने से कतराते है लोग
Baran News : बारां के छीपाबड़ौद क्षेत्र में जहां सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए करोड़ों खर्च करने का दावा करती हैं. लेकिन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण बारां जिले के छीपाबड़ौद क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं, जहां आज भी आजादी के 75 साल बाद भी विकास नहीं पहुंचा है.
ऐसा ही मामला जिले के छीपाबड़ौद तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत बिलेंडी की के ग्राम हरिपुरा में देखने को मिला. ग्रामीणों की सूचना पर दुर्गम रास्तों से होकर गांव पहुचना पड़ा है सड़को का कही नामोनिशान नही है. अभी तक पक्की सड़क नहीं है, सिर्फ़ ऊबड़ खाबड़ दुर्गम रास्ते बने हुए है
आज भी यह गांव बिजली, पानी, सड़क जैसी सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. इस गांव की ब्लॉक मुख्यालय से दूरी, सड़क व गांव की स्थिति को देख इस गांव में कोई अपनी बेटियों को देना तक नहीं चाहता है. गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय भी जर्जर हालत में है, विद्यालय में अभी तक विद्युत की सुविधा भी नहीं है न ही जल की व्यवस्था है, जिससे गर्मी में नोनिहार बच्चों को एक किलो मीटर दूर जाकर पानी भरकर लाना पड़ता है. विद्युत नही होने पर विधार्थियो को गर्मी में पढ़ना पड़ता है. वहीं विद्यालय की इमारत जगह जगह से जर्जर हो रही है, जिससे वर्षा ऋतु में छतो से पानी चोता है.
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में समस्याएं ही समस्याएं है. लगातार शासन प्रशासन से मांग करने पर कोई ध्यान ही नहीं देता. ऐसे में गांव की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. गांव में सड़क की दयनीय स्थिति है. सड़क की, जल की व बिजली की समस्याओं को एवम गांव की स्थिति देख लोग बेटियां नहीं देना चाहते हैं. सड़क की हालत बाहर से ही देखकर चले जाते हैं.
ग्रामीणों का कहना है की गांव ही सबसे ज्यादा उपेक्षित है. इस गांव में सिर्फ चुनाव के समय जनप्रतिनिधि आते हैं. चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि ही भूल जाते हैं. यही हाल अधिकारी व शासन-प्रशासन का है.
वहीं ग्रामीणों ने बताया कि हमने कई बार जन प्रतिनिधियों को समस्याओं के निराकरण के लिए ज्ञापन सौंपा है, परन्तु जन प्रतिनिधियों को इस और कोई ध्यान नहीं है जिससे हमारी आशा निराशा में बदल गईं हैं.
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