बाड़मेर- कच्चरे और मिट्टी से डटा पड़ा सायफन, नर्मदा के पानी के लिए तरस रहे किसान
Barmer latest news: बाड़मेर जिले में नर्मदा नहर परियोजना के रखरखाव मरमत एवं साफ सफाई के नाम पर भले ही लाखों करोड़ों के टेंडर जारी कर कागजों में खानापूर्ति की जा रही हो लेकिन हकीकत में धरातल पर टेंडर में जारी हुए कार्य सिर्फ कागजों में ही होते नजर आ रहे हैं.
Barmer news: राजस्थान के बाड़मेर जिले में नर्मदा नहर परियोजना के रखरखाव मरमत एवं साफ सफाई के नाम पर भले ही लाखों करोड़ों के टेंडर जारी कर कागजों में खानापूर्ति की जा रही हो लेकिन हकीकत में धरातल पर टेंडर में जारी हुए कार्य सिर्फ कागजों में ही होते नजर आ रहे हैं चैनपुरा के पास करीब 800 मीटर तक साइफन बना हुआ है साफ सफाई नहीं होने से मिट्टी से डटा पड़ा है इसलिए चेनपुरा, माणकी, कबुली, बाछला, खारी, अरणियाली, विरमाणियों की ढाणी, काकड़ो की ढाणी, ढाको का गोलियां गांवों के किसानों तक नर्मदा का पानी नहीं पहुंच रहा है पानी नहीं पहुंचने से किसान सिंचाई से वंचित रह रहे हैं.
किसानों ने नर्मदा नहर परियोजना के अधिकारीयों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी ठेकेदार मिलकर साफसफाई और रखरखाव के नाम पैसे हड़प लेते हैं और टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है साइफन का लेवल भी सही नहीं होने से पानी पर नहीं हो पा रहा है. अधिकारियों की लापरवाही आ रही सामने पिछले वर्ष नहरी तंत्र को सुधारने और मजबूती करण के लिए करीब 75 करोड रुपए आवंटित हुए लेकिन अधीक्षण अभियंता श्रीफल मीणा ने नहरी तंत्र को सुधारने के बजाय 5 करोड रुपए पंपिंग स्टेशन रिपेयर के नाम स्वीकृत कर दिए टेंडर की अनियमित को लेकर मुख्य अभियंता संभाग जोधपुर के ध्यान में मामला आने पर टेंडर में सुधार कर टेंडर निरस्त करने के निर्देश दिए मगर श्रीफल मीणा ने उस टेंडर को जारी कर दिया.
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5 करोड़ में साइफन की जगह बन जाती खुली नहर
नर्मदा नहर विभाग के अधिकारियों ने मनमर्जी से नहरी तंत्र को मजबूत करने और सुधारने के लिए स्वीकृत हुए पैसे अगर सही जगह काम लेकर चैनपुरा में साइफन की जगह पिलर बनाकर खुली नहर बनाते तो करीब 25 हजार बीघा जमीन सिंचित होती जिसका किसान फायदा उठाते लेकिन अधिकारियों की मनमर्जी के चलते किसानों को नर्मदा का बूंद पानी नहीं मिल पा रहा है.
बिना किसी जरूरत के बना दिया साइफन अब बना परेशानी का सबब
जिस समय नर्मदा नहर का निर्माण हुआ उस समय मिट्टी डालने के बजाय पानी भराव के स्थान को नदी का क्षेत्र बताकर 800 मीटर लम्बा चैनपुरा में साइफन बना दिया लेकिन यहां पिलर बनाकर खुली नहर बनानी थी साइफन की जरूरत के बिना मिट्टी डालने के बजाय साइफन की डिजाइन बना डाली साइफन का निर्माण हुआ तो उसका लेवल भी सही नहीं रखा लेकिन अब पिछले 10 वर्षों से किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते किसान है किसान यहां साइफन को हटाकर पिलर पर खुली नहर बनाने की मांग कर रहे हैं.
अधिकारी और ठेकेदार नहीं पहुंचे तो किसान अपने स्तर पर करने लगे सफाई
किसानों का कहना है कि कई बार विभाग के अधिकारियों को सीजन की सिंचाई के लिए साइफन की सफाई कर नर्मदा का पानी देने की मांग कर रहे हैं लेकिन ना ठेकेदार आ रहे और ना ही विभाग के अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब दे रहे हैं ऐसे में मजबुरन किसान चेनपुरा स्थित साइफन पर एकत्रित हुए और अपने स्तर पर सफाई करने लगे. लेकिन किसानों के पास उचित संसाधन नहीं होने से सपन के अंदर जमा मिट्टी निकालने में परेशानी हो रही है. इस दौरान गोरधनराम, करनाराम विश्नोई कबुली, हनुमानाराम सैन, मोबताराम, आशुराम जांम्भोजी का मंदिर , नारणाराम, रामलाल, जगमालाराम, तेजाराम चेनपुरा रामजीवन सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे.