Rajasthan: तैश में आकर फर्जी मुकदमा लिखना बाड़मेर एसपी को पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने पहले लताड़ा और फिर मांगा जवाब...
Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने बाड़मेर एसपी को फटकार लगाई है और उन्हें कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कहा है. यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण मामले में एसपी की कथित लापरवाही के कारण की गई है. कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारियों को लेकर सख्त है.
Rajasthan, Barmer News: राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बाड़मेर कोतवाली थाने में दर्ज एक एफआईआर को फर्जी करार दिया है और बाड़मेर एसपी को फटकार लगाते हुए कोर्ट में हाजिर होकर जवाब मांगा है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पुलिस अधिकारी आमजन के हितों की रक्षा के लिए हैं, लेकिन उन्हें अपने व्यक्तिगत द्वेष के लिए झूठी एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा है कि तथ्यों को देखकर लगता है कि बाड़मेर एसपी ने अपने पद और पॉवर का इस्तेमाल करके झूठा मामला परिवादी पर थोपा है.
ये है पूरा मामला
पूरा मामला पिछले साल 28 मार्च का है, जब बाड़मेर शहर के राजकीय अस्पताल के आगे से दिन दहाड़े ब्लैक स्कॉर्पियो में सवार होकर आए कुछ बदमाशों ने एक युवक का अपहरण कर लिया. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह मीणा खुद अपहृत युवक की तलाश में जुट गए. इसी दौरान शहर के चौहटन चौराहे के पास बाड़मेर एसपी को एक ब्लैक कलर की बिना नंबरी स्कॉर्पियो गाड़ी दिखाई दी, जिसको रुकवाने का प्रयास किया गया, लेकिन ड्राइवर ने सरकारी वाहन को टक्कर मार दी.
स्कॉर्पियो लेकर फरार हुए आरोपी की कहानी में एक नया मोड़ आया है. पुलिस ने शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर एक गांव में स्कॉर्पियो बरामद कर लिया था, लेकिन जांच में पता चला कि इस गाड़ी और इसमें सवार लोगों का अपहरण की वारदात से कोई संबंध नहीं था. बरामद स्कॉर्पियो में शैलेंद्र सिंह नाम के युवक के पहचान पत्र भी मिले थे, जिसके आधार पर बाड़मेर एसपी के वाहन चालक की रिपोर्ट पर शैलेंद्र सिंह के खिलाफ पुलिस थाना कोतवाली में मामला दर्ज किया गया था. हालांकि, शैलेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसके बाद कोर्ट ने एफआईआर नंबर 175/2024 पर कार्रवाई को स्थगित कर दिया है.
जोधपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा और कोतवाली थानाधिकारी लेखराज सियाग को शपथ पत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. यह फैसला एक मामले में सुनवाई के दौरान आया, जिसमें पुलिस ने आरोप लगाया था कि एक वाहन ने उनकी गाड़ी को टक्कर मारी थी, लेकिन पेश किए गए वीडियो फुटेज और तस्वीरों की जांच के बाद कोर्ट ने पाया कि वाहनों के बीच कोई टक्कर नहीं हुई थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला झूठे सबूत गढ़ने का प्रतीत होता है और पुलिस अधिकारियों से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाए. मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी 2025 को होगी, जिसमें अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है.
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