Gudamalani: बाड़मेर जिले में गोवंश में लगातार फैल रही लंपी स्किन डिजीज बीमारी के बाद गोवंश को बचाने के लिए कई सामाजिक संगठन आगे आकर गोवंश की सेवा करने में जुटे हैं. ऐसा ही एक युवाओं का ग्रुप मां अमृता देवी वन्य जीव संरक्षण के नाम से अब तक 1000 से अधिक गौवंश सहित अन्य वन्य जीवों की जान बचा चुका है, जिसमें मुख्य रूप से हिरण शामिल संस्थान की ओर से बच्चों की तरह वन्यजीव हिरण, खरगोश, बंदर, मोर, निलगाय का लालन-पालन किया जा रहा है और अब इस संस्थान से जुड़े लोग मौत के मुंह में जा रहे गोवंश को देशी तरीके से बचाने में जुटे है.


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बाड़मेर जिले के धोरीमना उपखंड क्षेत्र के सुदाबेरी और कातरला खिलेरियान सहित उपखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में गोवंश लंपी स्किन से ग्रसित होकर मौत के मुंह में जा रहे हैं. सरकार और चिकित्सा विभाग के इंतजाम नाकाफी होने के कारण दिनोंदिन संक्रमण बढ़ता जा रहा है, उसी को देखते हुए गोवंश की मदद के लिए पिछले 11 दिनों से लगातार भामाशाह और संगठन द्वारा आयुर्वेद पद्धति से उपचार किया जा रहा है. 


लगातार फैल रही लंपी स्किन डिजीज बीमारी से धोरीमना क्षेत्र में करीब 95% गोवंश संक्रमित है, जिन्हें मौत के मुंह में जाने से बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों की टीम लगी हुई है. अलग-अलग जगह जाकर संक्रमित गोवंश को औषधीय लड्डू खिलाए जा रहे है. साथ ही मेडिकल ट्रीटमेंट भी किया जा रहा है, इतना ही नहीं हादसों की रोकथाम के लिए गोवंश के सिंग पर रेडियम भी लगाया जा रहा है जिससे किसी की जान भी बचाई जा सके. 


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मां अमृता देवी वन्य जीव संरक्षण संस्थान कातरला द्वारा भामाशाह की मदद से गोवंश के लिए पोस्टिक आहार के रूप में एलोवेरा, अश्वगंधा, हल्दी, सेंधा नमक, काली मिर्च, बाजरे का आटा सहित कई प्रकार की औषधियां मिलाकर औषधीय लड्डू बनाकर खिलाएं जा रहे है. पिछले 11 दिनों में करीब 2000 गायों का टीम द्वारा उपचार किया गया है, जिसमें से करीब 80% गोवंश जानलेवा बीमारी लंपी स्किन डिजीज से ठीक भी हो रहे हैं. 


उपखंड अधिकारी लाखाराम ने भी मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और गोवंश को बचाने में जुटे सदस्यों की टीम की भी प्रशंसा की, एसडीएम ने भी गोवंश के सिंग पर रेडियम लगाकर हादसों की रोकथाम को लेकर ज्यादा से ज्यादा रेडियम लगाने के लिए प्रेरित किया. यह संगठन भामाशाह जगदीश भादू के नेतृत्व में  दो साल पहले  बनाया गया था, इसमें गांव के करीब 29 युवा सदस्यों की टीम है. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य घायल वन्यजीवों का रेस्क्यू कर के इलाज करना, पुनर्वास में छोड़ना और वन्यजीवों का सरंक्षण करना है लेकिन अब गोवंश पर आई विपदा को देखते हुए भामाशाओं की मदद से औषधीय लड्डू और इलाज कर रहे है.


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