रामदेवरा पहुंचे शिक्षा मंत्री कल्ला और उनकी पत्नी, पैदल जा रहे यात्रियों के पैरों में पड़े छालों पर की मरहम-पट्टी
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रामदेवरा पहुंचे शिक्षा मंत्री कल्ला और उनकी पत्नी, पैदल जा रहे यात्रियों के पैरों में पड़े छालों पर की मरहम-पट्टी

बीकानेर से एक अनोखी तस्वीर सामने आई है, जहां रामदेवरा पैदल जा रहे यात्रियों के बीच शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला पहुंचे और यात्रियों-श्रद्धालुओं के बीच बैठकर उनके पैरों के छालों पर मरहम पट्टी करते दिखाई दिए. 

रामदेवरा पहुंचे शिक्षा मंत्री कल्ला और उनकी पत्नी, पैदल जा रहे यात्रियों के पैरों में पड़े छालों पर की मरहम-पट्टी

Bikaner: राजस्थान के बीकानेर से एक अनोखी तस्वीर सामने आई है, जहां रामदेवरा पैदल जा रहे यात्रियों के बीच शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला पहुंचे और यात्रियों-श्रद्धालुओं के बीच बैठकर उनके पैरों के छालों पर मरहम पट्टी करते दिखाई दिए. ऐसी तस्वीरें लोगों के बीच चर्चा बटोर रही हैं, जहा प्रदेश के केबिनेट के मंत्री जनता की इस कदर सेवा करते नजर आए. 

दरअसल शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कोलायत स्थित बारह ज्योतिर्लिंग महादेव मंदिर में रामदेवरा मेले के पैदल यात्रियों के लिए आयोजित सेवा शिविर में शिरकत की और पैदल यात्रियों की सेवा सुश्रुषा की. शिक्षा मंत्री ने नोखड़ा तहसील के बाबा रामदेव मंदिर में बाबा मित्र मंडल द्वारा पैदल यात्रियों के लिए आयोजित सेवा शिविर में पैदल यात्रियों को खाना खिलाया और सेवा कार्य में भागीदारी निभाई. 

डॉ. कल्ला और उनकी धर्मपत्नी ने नोखड़ा में पैदल यात्रियों के पांवों में पड़े छालों के मरहम पट्टी की और आवश्यक दवाईयां भी उपलब्ध करवाई. इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि भाद्रपद माह में आयोजित बाबा रामदेवजी का मेला धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है. 

उन्होंने कहा कि लोक देवता बाबा रामदेव जी ने धर्म और जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव का विरोध किया और सांप्रदायिक सद्भावना रखने का संदेश दिया. बाबा रामदेव की समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सभी धर्मों के लोग के लोग पहुंचते हैं. यहां राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के पैदल यात्री भी आते हैं. 

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उन्होंने कहा कि पैदल यात्रियों के लिए सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने मार्ग में पैदल यात्रियों के लिए विभिन्न सेवा संस्थाओं द्वारा उपलब्ध करवाई गई सेवाओं और सुविधाओं को अनुकरणीय बताया और कहा कि यह बीकानेर की गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक है. इस दौरान उन्होंने पैदल यात्रियों के साथ बाबे के जयकारे लगाए.

Reporter- Rounak vyas

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