Lumpy Virus Cases In Rajasthan: राजस्थान में लंपी वायरस गोवंश पर कहर बनकर टूट रही है. लंपी वायरस के कहर के चलते पश्चिमी राजस्थान का रेगिस्तान श्मशान बन चुका है. रेगिस्तान में हुए बड़े-बड़े गड्ढे इस बात की गवाही दे रहे है कि गायों पर लंपी का कहर काल का ग्रास बनकर बरस रहा है. सरकार और प्रशासन बार-बार दावा कर रहा है कि लंपी की चपेट में आए गोवंश को मौत के बाद दफनाया जा रहा है लेकिन बाड़मेर शहर के अरिहंत नगर से तो बेहद भयावह तस्वीरें सामने आई है. यहां पर गोवंश को मौत के बाद खुले में फेंका जा रहा है जिसका स्थानीय लोगों ने जब विरोध किया तो अब गोवंश को दफनाना शुरू किया गया है.


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जिले में हालत इतने बत्तर है कि एक ही गड्ढे में एक दर्जन से अधिक गायों को दफनाया गया है. बाड़मेर शहर के अरिहंत नगर में गोवंश को मौत के बाद खुले में फेंका जा रहा है जिससे ना सिर्फ वातावरण दूषित हो रहा है बल्कि लोगों का रहना और सांस लेना भी दूभर हो गया है क्योंकि मृत गोवंश में कीड़े रेंग रहे है और भयंकर बदबू पूरे क्षेत्र में फैल रही है. लंपी वायरस की चपेट में आए गोवंश को मौत के बाद दफनाया तो जा रहा है, लेकिन रोहिली गांव से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जहां गोवंश को दफनाने की बजाय बड़े गढ्ढों में खुले में फेंका जा रहा है. 



एक तरफ सरकार और बाड़मेर प्रशासन यह दावा कर रहा है कि लंपी की चपेट में आए गोवंश को मौत के बाद दफनाया जा रहा है लेकिन रोहिली गांव से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जहां गोवंश को दफनाने की बजाय बड़े गढ्ढों में खुले में फेंका जा रहा है. यहां एक ही गड्ढे में करीब 20 से 25 गोवंश मृत पड़े हैं जिनकी तस्वीरें इतनी दर्दनाक और भयावह हैं कि मृत गोवंश में कीड़े रेंग रहे है और भयंकर बदबू से पूरा वातावरण दूषित हो रहा है.  


बता दें कि राजस्थान में फैले लंपी वायरस से लगातार गोवंश की मौत हो रही है जिससे जिले में दूध का उत्पादन भी आधा हो गया है और दुग्ध निर्मित उत्पाद जैसे छाछ, पनीर मक्खन, घी पर भी भारी असर पड़ रहा है. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ सरस केंद्र में दूध समेत दूध निर्मित उत्पादों में भारी कमी आई है. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के प्रबंध संचालक ओ. पी. सुखाड़िया के मुताबिक गोवंश में फैली लंपी बीमारी का असर दुग्ध उत्पादों पर पड़ रहा है, जिससे जिले के अलग-अलग इलाकों से करीब 15 हजार लीटर दूध एकत्रित किया जाता था लेकिन अब 8 हजार लीटर दूध ही मिल पा रहा है.


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गोवंश में लंपी बीमारी के चलते दूध और दुग्ध उत्पादों की खपत भी बढ़ी है. खपत के मुताबिक दूध नहीं मिलने से सहकारी संघ ने दूध की कीमतें बढ़ा दी है. जिला दुग्ध उत्पादक केंद्र में दूध की सप्लाई देने वाले गौपालक गोवंश की मौतों की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो रहे है. गौपालकों का कहना है कि गांवों में हर परिवार में आधा दर्जन गाय थी, जिससे परिवार की आजीविका चलती थी. लेकिन प्रत्येक परिवार में 4 गायों की मौत हो चुकी है. गौपालकों का कहना हैं कि 'इससे लोगों का गुजर बसर चलना मुश्किल हो गया है. 


सेड़वा निवासी गौपालक और दुग्ध सप्लायर रघुनाथ राम का कहना है कि मैं 400 लीटर गायों का दूध लाता था और अब केवल 80 लीटर दूध ही ला पा रहा है, 1500 लीटर की जगह 800 लीटर दूध की सप्लाई ही दे पा रहा हूं.' जिले में अब भी गायों की मौत का सिलसिला जारी है. गोवंश की मौत के आंकड़ों में कमी जरूर आई है. लेकिन पशुपालन विभाग केवल इलाज के दौरान हुई गोवंश की मौत को ही अपने आंकड़ों में शामिल कर रहा है. जबकि जिले के अलग-अलग इलाकों में हजारों गोवंश काल का ग्रास बन चुके है, जिसका आंकड़ा ना पशुपालन विभाग के पास है और ना ही सरकार के पास है. 


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