Bharatpur: राजस्थान के 8 जिलों में बारिश के चलते बाढ़ के हालात बने हुए हैं लेकिन विश्व धरोहर के नाम से दुनिया में अपनी पहचान रखने वाले केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में अभी भी जल संकट बना हुआ है. जिसके पीछे मुख्य वजह है भरतपुर जिले में औसत से कम बरसात होना और अन्य किसी स्रोत से क्षमता के अनुसार पार्क को जल उपलब्ध नहीं होना. जिसके चलते इस बार विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. 


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पर्यटक नहीं ले पाएंगे नौकायन का लुत्फ
केवलादेव उद्यान को अभी तक तीनों जल स्रोतों में से सिर्फ दो स्रोत से जरूरत का महज 20% पानी मिल सका है. यही वजह है कि इस बार अभी तक उद्यान के अंदर ओपनबिल स्टार्क के अलावा अन्य पक्षियों की कॉलोनी विकसित नहीं हो पाई है. अगर यही हालात रहे तो आने वाले सीजन में पर्यटक केवलादेव नेशनल पार्क (घना) के अंदर नौकायन का लुत्फ नहीं उठा सकेंगे.


पर्यटन सीजन में 550 एमसीएफटी पानी की होती है जरूरत
यूं तो केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटन सीजन के लिए 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है लेकिन इस बार कम बरसात के चलते अभी तक उद्यान को सिर्फ 112 एमसीएफटी पानी मिल सका है. उद्यान निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि इस बार अभी तक गोवर्धन ड्रेन से 100 एमसीएफटी और चंबल परियोजना से महज 12 एमसीएफटी पानी मिल सका है.त चंबल परियोजना से घना को 62 एमसीएफटी पानी मिलना होता है लेकिन हर वर्ष की भांति इस बार भी चंबल परियोजना से पूरा पानी नहीं मिल सका है.


ओवरफ्लो नहीं होने पर गोवर्धन के पानी से ही काम चलाना पड़ेगा
अभिमन्यु सहारण ने बताया कि जब तक पांचना बांध का गेज 11 मीटर से ऊपर पहुंचकर ओवरफ्लो नहीं होता है तब तक पार्क को पानी नहीं मिल पाता है. हालांकि करौली जिले में अच्छी बारिश है. अभी पांचना बांध का गेज 10.1 मीटर है, जिसकी भराव क्षमता 11 मीटर है. उम्मीद है कि ओवरफ्लो होने पर पार्क को पांचना का पानी मिल सकेगा. यदि ओवरफ्लो नहीं हुआ तो गोवर्धन ड्रेन के पानी से ही काम चलाना पड़ेगा. फिलहाल गोवर्धन ड्रेन के पानी के लिए तीन पंप संचालित कर रखे हैं, जिनसे हर दिन करीब 5 एमसीएफटी पानी घना को उपलब्ध हो रहा है. उम्मीद है कि यदि आगामी 1 महीने तक इसी गति से गोवर्धन ड्रेन से पानी मिलता रहा, तो घना को करीब 150 एमसीएफटी और पानी मिल जाएगा.


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पक्षियों की संख्या काफी कम 
अभिमन्यु सहारण ने बताया कि मानसून से पहले आने वाले ओपन बिल स्टार्क ने केवलादेव उद्यान में नेस्टिंग की है. काफी देरी से पेंटेड स्टार्क भी पहुंच गए हैं लेकिन गत वर्ष की तुलना में इस बार घना में पक्षियों की संख्या काफी कम नजर आ रही है. जबकि उद्यान के बाहर पंछी का नगला क्षेत्र में करीब 1 दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षियों ने डेरा डाल रखा है. पार्क के जिस एल ब्लॉक में नोकायन होता है, उसमें पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं है. 


जितना पानी अभी तक मिला है उससे पक्षियों के नेस्टिंग एरिया की झील को भरा जा रहा है जबकि एल ब्लॉक में 150 एमसीएफटी पानी अलग से चाहिए. ऐसे में पानी नहीं होने पर पर्यटक नोकायन का लुत्फ नहीं उठा पाएंगे. सब कुछ पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है. गौरतलब है कि केवलादेव नेशनल पार्क के अंदर पर्यटकों का सीजन आगामी सितम्बर माह से फरवरी माह तक होता है. इस दौरान दुनियाभर से 300 से अधिक प्रजाति के पक्षी यहां पर प्रवास के लिए आते है, जिनमें 100 से 150 तक अलग-अलग प्रजाति के माइग्रेटेड बर्ड शामिल है.


Reporter: Devendra Singh


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