Bharatpur: राजनीति में एक कहावत है कि लोकतंत्र में सर गिने जाते हैं यानी जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी ,यही कवायद राजस्थान में इन दिनों देखने को मिल रही है ,राजस्थान में इन दिनों जातिगत आंदोलन की भरमार है ,अलग अलग जाती के लोग अपनी मांगे मनवाने के लिये आंदोलन कर रहे हैं अब देखने वाली बात होगी वह इस में कितना कामयाब होते है कितना नहीं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजनीति में नेता और दल भले ही कितना भी जातिवादी राजनीति को दूर करने की बात करते हों,दम भरते हों,लेकिन कोई भी दल या राजनेता इससे अछूता रह नहीं पाता है है . जातिगत वोट प्रतिशत के जरिये नेता सत्ता में अपनी भागीदारी व दम भी दिखाते हैं. राजस्थान में भी यह सिलसिला जारी है ,पहले जाट महाकुंभ के जरिये जाट समाज ने जाट मुख्यमंत्री की मांग की तो ब्राह्मण पंचायत के जरिये पंडितों ने,राजपूत भी यह मांग कर चुके है और मीणा और गुर्जर भी इससे अछूते नहीं है.


राजस्थान में ओबीसी वर्ग में बड़ा हिस्सा जाट,गुर्जर,यादव ,माली ,सैनी ,कुशवाह,शाक्य समाज का है और हर वर्ग अपनी राजनैतिक ताकत इसके जरिये सरकारों को बनाने और हटाने में दिखाता भी है. लेकिन पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग में जहां जाट,गुर्जर और मीणा बाहुल्य इलाके है उस इलाके में सैनी समाज के लोग आरक्षण के लिये सड़क पर उतर आए है और कह रहे है कि उन्हें अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण दो उनकी संख्या बल के आधार पर . अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में यह समाज अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण चाहता है या फिर अपनी संख्या जताने के लिये यह सब हो रहा है कि उन्हें दरकिनार नहीं किया जाए. सरकार बनाने व हटाने में उनकी बड़ी भूमिका है. यह बात पार्टियां जान लें.


प्रदेश में अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो एससी एसटी के बाद सर्वाधिक संख्या 20 प्रतिशत जाट ,18 प्रतिशत राजपूत,10 प्रतिशत गुर्जर, 12 प्रतिशत सैनी समाज की भी है. सैनी समाज प्रदेश की 180 सीट पर अपना प्रभाव रखता है जहां इनकी संख्या 5 हजार से लेकर 50 हजार है.


गुर्जर समाज जो अपने आप को 10 प्रतिशत बताकर 13 जिलों की 75 सीट पर अपना प्रभाव जताता है लेकिन सैनी समाज की भागीदारी उनसे ज्यादा है. वह 75 नही 180 सीट पर प्रभाव रखते हैं. सूबे के मुखिया खुद सैनी समाज से आते है और तीसरी बार वह प्रदेश की कमान संभाल रहे हैं फिर भी उनके समाज के लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन रत है इसके अब अलग अलग राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैं. दो साल से ही क्यों सैनी समाज के लोग आरक्षण के लिये सड़क पर उतरे ? ,क्या इसके पीछे वजह अपनी संख्या व हिस्सेदारी बताना है या फिर जब सब पार्टी हाईकमान को बताने की कवायद है कि उनका समाज भी बड़ी भागीदारी रखता है .


सचिन पायलट को कमान सौंपने की बात जब जब यह कहकर होती है कि पूर्वी राजस्थान में सचिन पायलट का खास प्रभाव है और इसी पूर्वी राजस्थान ने कांग्रेस को सत्ता में पहुंचाया है जिसके पीछे गुर्जर मतदाता है जिसका प्रदेश के 13 जिलों में खास प्रभाव है और उनकी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है. राजनैतिक पंडित यह मान रहे है कि यह सब कुछ सुनियोजित है यह बताने को कि ओबीसी में हमको दरकिनार नही किया जा सकता है .


यह भी पढ़ेंः सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन की बाईक पार्किंग में जमकर हुई मारपीट, वीडियो वायरल


यह भी पढ़ेंः RU पेपर लीक मामला- यूनिवर्सिटी ने बताया केवल एक वायरल मैसेज , मन लगाकर एग्जाम देने की छात्रों से की अपील