रणथंभौर: 3 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है टी-104, विभाग कर रहा बाघ को ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश
आदमखोर हुए टी-104 को लेकर वन प्रशासन भी चिंतित है. हालांकि, वाइल्ड लाइफ और एनटीसीए के विभागीय नियमों के मुताबिक अभी तक टी-104 को आदमखोर नहीं कहा जा सकता.
अरविंद सिंह, सवाई माधोपुर: बाघों की अठखेलियों के लिए सवाई माधोपुर का रणथंभौर नेशनल पार्क दुनियाभर में मशहूर है. यहां के बाघों को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से सैलानी आते हैं लेकिन इन दिनों रणथंभौर पार्क आदमखोर हो रहे बाघों को लेकर सुर्खियों में है. उस्ताद टी-24 के बाद, एक और बाघ टी-104 इंसानी खून का प्यासा हो चुका है.
रणथंभौर की लैला टी-41 का लाडला टी-104 महज आठ महीने में तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. टी-104 ने करौली के कैलादेवी वन क्षेत्र में एक युवक को मौत के घाट उतार दिया. जिसके बाद से ही रणथंभौर, कोटा और जयपुर वन विभाग की टीमें टी-104 को ट्रेंकुलाइज करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है लेकिन अभी तक वन विभाग टीम को सफलता नहीं मिल पाई है.
टी-41 से अलग होने के बाद से ही टी-104 अपनी नई टेरिटरी की तलाश में दर-दर भटक रहा है. टी-104 ने पहला हमला 2 फरवरी 2019 को रणथंभौर की कुंडेरा रेंज में पाडली गांव की महिला पर किया था. दूसरा शिकार कैलादेवी वन क्षेत्र की दुर्गेश घाटी में बनाया था. जिसके बाद वन विभाग की टीम द्वारा टी -104 को ट्रेंकुलाइज किया गया और एक बार फिर उसे रणथंभौर के जंगलों में छोड़ दिया गया लेकिन टी-104 ज्यादा दिनों तक रंथम्भौर के जंगलों में नहीं ठहर पाया और इस बाघ ने एक बार फिर कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया.
हालांकि, इस दौरान वन विभाग की टीम द्वारा लगातार टी-104 की ट्रेकिंग की जा रही थी. आदमखोर हुए टी-104 को लेकर वन प्रशासन भी चिंतित है. हालांकि, वाइल्ड लाइफ और एनटीसीए के विभागीय नियमों के मुताबिक अभी तक टी-104 को आदमखोर नहीं कहा जा सकता. विभागीय अधिकारी का कहना है कि टी-104 को मैन इटर नहीं कहा जा सकता, बल्कि इसे मैन किलर कहेंगे. मैन ईटर उस बाघ को कहा जाता है जिसके मुंह में इंसानी खून लग चुका हो.
विभागीय अधिकारियों का दावा है कि टी-104 को जल्द ही ट्रेंकुलाइज कर लिया जाएगा. टी-104 को इस बार रणथंभौर के आमली में बनाए गए एनक्लोजर में छोड़ा जायेगा ताकि किसी इंसान को शिकार ना बन सके. टी-104 के स्वभाव में आए परिवर्तन को लेकर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि टी 104 अपनी नई टेरिटरी की तलाश में है लेकिन रणथंभौर में अन्य शक्तिशाली बाघों के कारण वो टेरिटरी बनाने में सफल नहीं हो पाया और टेरिटरी ली तलाश में कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया.
आपको बता दें कि टी-104 से पहले रणथंभौर का उस्ताद कहे जाने वाला बाघ टी-24 भी 4 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. जिसके बाद टी-24 को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायलोजिकल पार्क में छोड़ा गया था. उस्ताद टी-24 के बाद बाघ टी-104 रणथंभौर का वो बाघ है जो अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. ऐसे में वन विभाग के पास टी-104 को एनक्लोजर में छोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.