Bhilwara: भीलवाड़ा में स्टाम्प पर नाबालिग लड़कियों को बेचने का मामले के पीछे समाज में व्याप्त कुरूतियां, अशिक्षा और सामाजिक भेदभाव प्रमुख कारण है. वहीं सामाजिक ताने-बाने और पंच पटेलों व दलालों के पैसे लेकर पंचायत करने कारण ही समाज की बेटियां खुले में बिकती है. अखिल राजस्थान कंजर समाज महापंचायत ने इन सबको रोकने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.


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भीलवाड़ा में स्टाम्प पर नाबालिग लड़कियां बेचने का मामला सामने आने के बाद हड़कम्प मचा हुआ है, हालांकि राज्य महिला आयोग ने इस घटना को पुरानी बताकर वर्तमान में इस तरह का कोई मामला होने से इनकार किया है. दूसरी ओर कंजर महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष ग्यारसीलाल गोगावत ने प्रेसवार्ता में कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी हमारा समाज अत्यंत पिछड़ा हुआ है. चारी प्रथा के कारण कई जिलों में अब भी बेटियों को शिकार बनाया जा रहा है. समाज की कुरूतियों का मूल्य बेटियों को चुकाना पड़ रहा है. उनका बचपन छीना जा रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. समाज सुधारक इनका विरोध करते हैं तो पंच पटेल उनके खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज करवा देते हैं.


10 से 15 लाख में बेचते हैं लड़कियों को


कंजर महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष गोगावत ने कहा कि नाबालिग लड़कियों को शादी और देह व्यापार के लिए दस से पंद्रह लाख रुपए में बेचा जाता है. शादी नहीं बल्कि यह खरीद फरोख्त है, वर पक्ष से जो पैसा मिलता है उसे चारी प्रथा कहा जाता है. इस प्रथा की आड में ही पंच पटेल और दलाल अपना हित साध रहें हैं. सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. जिससे समाज की बेटियों को इस प्रथा से आजादी मिल सके.


कंजर समाज​ ने ये प्रमुख मांगे रखी


कंजर समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है, अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए कभी अंग्रेजों, मुगलों से समझौता नहीं किया. महाराणा प्रताप के साथ जंगलों में रहें. वर्तमान में भारत में कंजर समाज की आबादी 40 लाख के आसपास है. ये एससी, घुमंतु, अर्द्ध घुमंतु श्रेणी में आते हैं. इस समाज के लिए सरकार ने नवजीवन योजना बनाई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई. समाज की मांग है कि बालकृष्ण रेनके व दादा इदाते आयोग की सिफारिशें लागू की जाये. कंजर सहित अन्य जातियों को दस प्रतिशत आरक्षण अलग से दिया जाए. देह व्यापार में लिप्त महिलाओं के पुनर्वास पर ठोस योजना बनें, पुनर्वास के लिए पांच लाख रुपए दिये जाए, पंचायत स्तर पर इन जातियों को पांच पांच बीघा भूमि दी जानी चाहिए, समाज के लोगों को खाद्य सुरक्षा व बीपीएल सूची में जोड़ा जाए, समाज के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास बनाए जाएं, चारी प्रथा समाप्त करने के लिए प्रशासन को निर्देश जारी करें, कंजर जाति बदनाम हो चुकी है, इसका नाम बदलकर बिजोरिया किया जाए.


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